राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) का एक तिहाई हिस्सा अब कम हो जाएगा। मंगलवार को हुई एनसीआर प्लानिंग बोर्ड की बैठक में एनसीआर का क्षेत्र तय कर लिया गया है। सभी राज्यों को इसमे समान अवसर मिलेगा। नए नियम के चलते हरियाणा और राजस्थान का इलाका कम हो जाएगा। यूपी की दो तहसीलों पर इसका असर पड़ सकता है। मुजफ्फरनगर की जानसठ तहसील और बुलंदशहर की शिकारपुर तहसील एनसीआर से बाहर हो सकती है। अभीतक एनसीआर की सीमा 55 हजार वर्ग किलोमीटर से ज्यादा थी। यह अब घटकर 37115 वर्ग किलोमीटर रह जाएगी।
हरियाणा लगातार एनसीआर की सीमा तय करने की मांग कर रहा था। दरअसल हरियाणा के 13 जिलो एनसीआर का हिस्सा हैं। इसके चलते यहां प्रदूषण के समय एनसीआर के नियम लागू होते हैं। पराली जलाने से लेकर गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन खत्म करने की समस्या सबसे ज्यादा हरियाणा को हो रही थी। इसके चलते हरियाणा लगातार एनसीआर का हिस्सा कम करने की मांग कर रहा था। मंगलवार को हुई बैठक में तय किया गया कि एनसीआर की सीमा राजघाट से 100 किलोमीटर रहेगी। उत्तर प्रदेश सबरीजन पर इसका ज्यादा असर नहीं पड़ रहा है। यूपी आठ जिले एनसीआर में शामिल हैं। सभी जनपद अभी भी इसका हिस्सा रहेंगे। मुजफ्फरनगर की जानसठ और बुलंदशहर की शिकारपुर तहसील सौ किलोमीटर के दायरे से बाहर है, हालाकिं उत्तर प्रदेश सरकार इन्हें भी एनसीआर में शामिल कराने के पक्ष में है।
नई योजना का असर सबसे ज्यादा हरियाणा पर पड़ेगा। करनाल, जींद, कैथल जैसे जिले एनसीआर की सीमा से बाहर हो सकते हैं। इसके अलावा भिवानी का कुछ हिस्सा भी एनसीआर की सीमा से बाहर रह सकता है। बैठक में तय किया गया है कि वर्तमान एनसीआर की सीमा में शामिल बड़े शहरों को नए मास्टर प्लान में भी शामिल किया जाए, भले ही वह 100 किलोमीटर के दायरे से बाहर हों। इसके चलते राजस्थान के अलवर को एनसीआर में जगह मिल सकती है। सभी राज्यों को कहा गया है कि वे सौ किलोमीटर की सीमा के हिसाब से मास्टर प्लान के बाद अपना सबरीजन प्लान तैयार करेंगे।