चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने एक बार फिर ताइवान को चीन में मिलाने की बात कही है। उन्होंने कहा है कि चीन ने ताइवान के साथ शांतिपूर्ण एकीकरण करने की कसम खाई है। ऐसा जिनपिंग ने तब कहा है जब चीन और ताइवान के बीच पिछले एक हफ्ते से तनाव बहुत बढ़ा हुआ है।
लोकतांत्रित ताइवान पर चीनी संप्रभुता स्वीकार करने का जबरदस्त दबाव है लेकिन ताइवान ने अपनी स्वतंत्रता की रक्षा करने का संकल्प लिया है। ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन ने कहा है कि एक उचित कारण हमेश से समर्थन आकर्षित करता है। हम अपनी राष्ट्रीय संप्रभुता और अपने लोगों की रक्षा के साथ ही क्षेत्रीय शांति बनाने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं। हम वह सब कर रहे हैं जो कि हम कर सकते हैं। हम साथ काम करने वाले समान विचारधारा वाले देशों की सराहना करते हैं।
बीजिंग के ग्रेट हॉल ऑफ द पीपल में बोलते हुए शी जिनपिंग ने कहा है कि चीनी लोगों की अलगाववाद का विरोध करने की ‘शानदार परंपरा’ है। उन्होंने कहा है कि ताइवान की स्वतंत्रता अलगाववाद मातृभूमि के पुनर्मिलन में सबसे बड़ी बाधा है। यह राष्ट्रीय कायाकल्प के लिए सबसे गंभीर खतरा है। शांतिपूर्ण एकीकरण ताइवान के लोगों के सभी हितों को पूरा करता है। किसी को चीन के संकल्प, इच्छाशक्ति, संप्रभुता और अखंडता को कम करके नहीं आंकना चाहिए। चीन अपनी संप्रभुता और एकता की रक्षा करेगा। मातृभूमि के एकीकरण का ऐतिहासिक काम जरूर पूरा होगा।
ताइवान को लेकर जिनपिंग अबकी थोड़े नरम पड़े हैं। 2019 में अपने एक भाषण के दौरान ताइवान को चीन का हिस्सा बनाने के लिए उन्होंने सीधे तौर पर बल प्रयोग की धमकी दी थी। लेकिन अबकी उन्होंने ऐसा कुछ नहीं कहा है।
1 अक्टूबर से लेकर अब तक ताइवान के वायु रक्षा क्षेत्र में करीब 150 चीनी लड़ाकू विमानों ने उड़ान भरी है। इससे ताइवान और चीन के बीच में तनाव बढ़ा हुआ है।