भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय के 100 से अधिक शिक्षकों व शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के भुगतान व सेवापुस्तिका की जांच सीबीआई ने शुरु कर दी है। बीएनएमयू के एसएनएसआरकेएस के 51, आरएम कॉलेज सहरसा के 5, पीएस कॉलेज मधेपुरा के 37 व कामर्स कॉलेज मधेपुरा लगभग 23 शिक्षक व कर्मी जांच के दायरे में हैं।
बताया जा रहा है कि दो सदस्यीय टीम में से एक सदस्य द्वारा मधेपुरा के दो कॉलेजों व एक सदस्य द्वारा सहरसा के दो कॉलेजों में जांच की जा रही है। एसएनएसआरकेएस कॉलेज के प्राचार्य अशोक कुमार सिंह ने बताया कि एक सदस्य द्वारा 51 शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मी के भुगतान व उपस्थिति की जांच की जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जांच हो रही है। वहीं आरएम कॉलेज के प्राचार्य डा. अरुण कुमार खां ने बताया कि टीम कॉलेज पहुंची थी। पांच शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मी का मामला है। उन्होंने बताया कि चौथे चरण के अंगीभूत कॉलेज से जुड़ा मामला है। इसमें सीबीआई की टीम को सभी दस्तावेज उपलब्ध करा दिया गया।
हालांकि टीम ने दो रूम की डिमांड की थी। उसे दो रुम भी दिखा दिए गए हैं। मालूम हो कि बिहार में चौथे चरण में अंगीभूत करीब 1200 शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मी के भुगतान से संबंधित मामला है। शहर के दो नव अंगीभूत महाविद्यालयों में प्राध्यापक और कर्मी के नियमतीकरण मामले की सीबीआई ने जांच शुरू की है।
बहाल कर्मियों की सेवापुस्तिका का सत्यापन और भुगतान मामले की जांच हो रही है। नवअंगीभूत महाविद्यालयों के शिक्षक और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को वेतन और एरियर भुगतान के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर एसबी सिंहा कमीशन आयोग वर्ष 2012-13 में गठित हुआ।
आयोग ने अपनी जांच रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को समर्पित करते हुए शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को एरियर सहित वेतन आदि भुगतान करने की सहमति जतायी थी जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर विश्वविद्यालय को भुगतान करने का निर्देश दिया। इसी निर्देश के आलोक में दोनों नवअंगीभूत महाविद्यालयों के कर्मियों का भुगतान कर दिया गया।
इसी बीच एरियर भुगतान को लेकर माधवनगर के एक अध्यापक ने याचिका दायर कर दी। जिस याचिका की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने एसबी सिंहा कमीशन आयोग द्वारा समर्पित जांच रिपोर्ट में शामिल शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के नियमितीकरण की जांच करने का निर्देश सीबीआई को दिया गया।
इसी निर्देश के बाद अब सीबीआइ ने ऐसे नव अंगीभूत कालेजों में कार्यरत शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मी जिन्हें वेतन व एरियर देने की सिफारिश एसबी सिंहा कमीशन आयेाग ने की थी। वैसे कर्मियों की जांच शुरू कर दी है। सेवा नियमितीकरण की जांच के बाद ऐसे प्राध्यापकों और कर्मचारियों के बीच हड़कंप मचा है।
नियम को दरकिनार कर इस सेवा का लाभ ले चुके कर्मी व प्राध्यापक पर गाज गिर सकती है। वर्ष 1986 से ही बिना वेतन के काम कर रहे कर्मियों को उस समय सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद ही विश्वविद्यालय ने वेतनादि सहित एरियर का भुगतान किया गया। अब एक बार फिर नए सिरे से सुप्रीम कोर्ट ने ही इसकी जांच सीबीआई को दिए जाने के बाद इसे गंभीर बना दिया है।