देहरादून में 2014 में दिवाली की रात परिवार के चार लोगों की बेरहमी से हत्या करने के आरोपी हरमीत सिंह को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है। कोर्ट ने दोषी पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। इससे पहले सजा को लेकर अभियोजन और बचाव पक्ष ने अपने-अपने तर्क रखे। इन्हें सुनने के बाद न्यायालय ने फैसला दिया। सोमवार को न्यायालय ने दोषी करार दे दिया था।
देहरादून के चकराता रोड स्थित आदर्शनगर में 23-24 अक्तूबर 2014 की मध्यरात्रि यह हत्याकांड हुआ था। आरोपी हरमीत सिंह ने होर्डिंग व्यवसायी पिता जय सिंह, सौतेली मां कुलवंत कौर, सौतेली बहन हरजीत कौर और भांजी सुखमणि की चाकुओं से गोद कर हत्या कर दी थी। हत्या के वक्त हरजीत कौर गर्भवती थी। एडीजे पंचम आशुतोष मिश्रा की अदालत ने हरमीत को हत्या, गर्भ में पल रहे शिशु की हत्या और जानलेवा हमले को लेकर सोमवार को दोषी करार दिया था। आज सजा सुनाई गई। हत्या के वक्त घर में हरमीत का करीब पांच वर्ष उम्र का भांजा कंवलजीत सिंह जिंदा बचा था। हत्यारे ने उस पर भी चाकू से हमला किया था। वह बेड के नीचे छिपकर बच गया था। जो इस केस में अहम गवाह रहा। न्यायालय में अभियोजन ने कुल 21 गवाह और वैज्ञानिक साक्ष्य पेश किए। आरोप ने रामपुर चाकू से हत्याकांड को अंजाम दिया था।
हत्यारे हरमीत को सजा दिलाने में ये साक्ष्य रहे अहम
आरोपी की खून से सनी चप्पल और वारदात के दौरान पहनी खून से सनी शर्ट और लोअर, कत्ल करते समय चाकू के प्रहार से हरमीत की अंगुलियां कट गई थीं, भांजे कंवलजीत की गवाही और एम्स की मेडिकल जांच रिपोर्ट।
संपत्ति के हर हकदार को ठिकाने लगाने की साजिश
वारदात के वक्त हरमीत की अपनी मां सहारनपुर में रहती थी। हरमीत सिंह के दिलो-दिमाग में भरा नफरत का गुबार दिवाली की रात पिता जय सिंह, सौतेली मां कुलवंत कौर, बहन हरजीत कौर और भांजी सुखमणि की हत्या के रूप में फूटा। एक तो नशा और दूसरा कम बात करने की आदत की वजह वह अपनी पीड़ा को कभी जाहिर नहीं कर पाया। उसका लगाता था पिता की सारी संपत्ति से वह और मां बेदखल न हो जाए। दिवाली से एक दिन पहले हरमीत ने जीजा अरविंदर सिंह को फोन कर घर बुलाया था। वह नहीं पहुंचे। उसका इरादा संपत्ति के हर हकदार को ठिकाने लगाने का था। हत्या से पहले उसने रामपुरी चाकू को धार लगवाई और क्लोरोफार्म खरीदा था।