दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में राजधानी दिल्ली में उन सभी मामलों को तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दिया है, जिनमें नाबालिगों के खिलाफ कथित छोटे अपराधों में किशोर न्याय बोर्ड (जेजेबी) के समक्ष जांच लंबित है और जिन पर एक साल से अधिक समय से कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
अदालत ने किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम (जेजे अधिनियम) की धारा 14 के तहत आदेश पारित किया, जिसमें कहा गया है कि छोटे अपराध करने वाले किसी बच्चे के खिलाफ जांच, बोर्ड के समक्ष पहली बार पेश होने की तारीख के बाद चार महीने में समाप्त हो जानी चाहिए। ऐसे मामलों में जांच की अवधि को अधिकतम दो माह के लिए ही बढ़ाया जा सकता है। प्रावधान कहता है कि यदि जांच अनिर्णायक रहती है, तो ऐसी कार्यवाही समाप्त हो जाएगी।
जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और अनूप जयराम भंभानी ने कहा कि हम न्यायिक व्यवस्था में त्रुटि को ठीक करने के लिए यह आदेश पारित कर रहे हैं, क्योंकि हमारा मानना है कि ऐसे मामलों को अब और लंबित रखने का कोई औचित्य नहीं है।
बेंच ने 29 सितंबर को पारित और शुक्रवार को उपलब्ध अपने आदेश में कहा कि बच्चों/किशोरों के खिलाफ छोटे-मोटे अपराधों का आरोप लगाने वाले ऐसे सभी मामलों में जांच को तत्काल समाप्त कर दिया जाए, जिनमें जांच लंबित है और एक वर्ष से अधिक समय तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। इसमें इस बात को नहीं देखा जाएगा कि बच्चे/किशोर को जेजेबी के समक्ष पेश किया गया या नहीं।
डीसीपीसीआर द्वारा अदालत को सूचित किया गया था कि इस साल 30 जून तक, किशोरों द्वारा किए गए छोटे अपराधों से संबंधित 795 मामले यहां छह जेजेबी के समक्ष छह महीने से एक वर्ष की अवधि तक लंबित हैं और ऐसे 1108 मामले एक वर्ष से अधिक समय से लंबित हैं।