दिल्ली हाईकोर्ट ने दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) से यह स्पष्ट करने को कहा है कि यहां बहादुरशाह जफर मार्ग पर एक कब्रिस्तान में और उसके आसपास अनाधिकृत निर्माण और अतिक्रमण की अनुमति क्यों दी गई।
हाईकोर्ट ने कहा कि उसके सामने रखी गईं तस्वीरों में सार्वजनिक रास्ते एवं दिल्ली वक्फ बोर्ड की जमीन पर अतिक्रमण नजर आता है। अदालत ने कहा कि यह पता करना जरूरी हो जाता है कि अनाधिकृत निर्माण तथा अतिक्रमण कैसे होने दिया गया।
जस्टिस नजमी वजीरी ने 20 सितंबर को एक अर्जी पर दिल्ली सरकार, एसडीएमसी एवं दिल्ली वक्फ बोर्ड को नोटिस जारी किए। याचिका में दिल्ली हाईकोर्ट से उसकी खंडपीठ के आदेश का कथित रूप से अनुपालन नहीं करने को लेकर संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध अदालत की अवमानना की कार्यवाही करने का अनुरोध किया गया है। खंडपीठ ने संबंधित प्राधिकार को याचिकाकर्ता युवा संघर्ष समिति की शिकायतों पर गौर करने एवं याचिका पर कानून सम्मत निर्णय लेने का निर्देश दिया था।
हाईकोर्ट ने 16 जुलाई का कहा था कि यदि प्रशासन कब्रिस्तान पर कोई अतिक्रमण पाता है तो वह कब्जा करने वाले को उचित सुनवाई का मौका देने के बाद निर्णय लेगा एवं कानून के अनुसार अतिक्रमण को हटाएगा।
युवा संघर्ष समिति की ओर से वकील हेमंत चौधरी के माध्यम से दायर याचिका में यहां कब्रिस्तान में सार्वजनिक भूमि पर अनाधिकृत निर्माण के रूप में अतिक्रमण को हटाने या सील करने की मांग की गई है, जिसका रखरखाव दिल्ली वक्फ बोर्ड द्वारा किया जाता है। याचिकाकर्ता ने कहा कि प्रशासनों खासकर एसडीएमसी से बार-बार अनुरोध करने के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकला।
जस्टिस वजीरी ने 20 सितंबर के आदेश में कहा कि तस्वीरें दिखाती हैं कि निर्माण पुराने हैं और उन्होंने कहा कि अधिकारियों ने खंडपीठ के निर्देशों का पालन नहीं किया है।
हाईकोर्ट ने कहा कि एसडीएमसी के उपायुक्त को एक हलफनामा दायर करने को कहा है, जिसमें बताना होगा कि अनाधिकृत निर्माण और अतिक्रमण को पहले स्थान पर क्यों आने दिया गया और अधिकारियों पर क्या जिम्मेदारी तय की गई, जो अपने कर्तव्यों में लापरवाह पाए जा सकते हैं। हलफनामे में यह भी बताना होगा कि उपरोक्त आदेश (डिवीजन बेंच के) का पालन क्यों नहीं किया गया है।
अदालत ने कहा कि निगम के उपायुक्त अगली तारीख यानी 30 नवंबर से पहले अनुपालन हलफनामा दाखिल करें। खंडपीठ के समक्ष याचिका में दावा किया गया था कि कब्रिस्तान के रास्ते में और परिसर के बाहर विभिन्न कार्यालयों, खाने की दुकानों और दुकानों को खोलने के रूप में अवैध निर्माण किया गया है।
यह भी आरोप लगाया गया था कि यह गतिविधियां दिल्ली वक्फ बोर्ड और दक्षिणी दिल्ली नगर निगम और बीएसईएस के संज्ञान में थीं, जिन्होंने वहां बिजली कनेक्शन स्थापित किए हैं।