केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ गतिरोध अब भी बरकरार है। किसान आंदोलन को 10 महीने बीतने के बावजूद अभी इसका हल निकलता नहीं दिख रहा है। इसे लेकर भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) की अगुवाई में रविवार को हरियाणा के पानीपत में किसान महापंचायत का आयोजन किया गया।
किसान महापंचायत में पहुंचे बीकेयू प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि भारत सरकार नए कृषि कानूनों को जितनी जल्दी वापस लेगी उतना सरकार को फायदा होगा। अगर ऐसा नहीं हुआ तो संयुक्त किसान मोर्चा के लोग पूरे देश में जाएंगे और केंद्र सरकार के खिलाफ बैठकें और विरोध प्रदर्शन करेंगे। आपके जहां-जहां चुनाव होंगे आपके चुनाव पर वोट की चोट करने का काम करेंगे।
कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने पांच सितंबर को मुजफ्फरनगर की किसान महापंचायत में 27 सितंबर को ‘भारत बंद’ का ऐलान किया था। संयुक्त किसान मोर्चा ने पहले 25 सितंबर को ‘भारत बंद’ की घोषणा की थी। किसान मोर्चा ने कहा है कि 27 सितंबर को ‘भारत बंद’ के दौरान देश में सब कुछ बंद रहेगा। भारतीय किसान यूनियन के नेता टिकैत ने महापंचायत को संबोधित करते हुए कहा कि तीन कृषि कानूनों के वापस लिए जाने तक वह अपना आंदोलन समाप्त नहीं करेंगे।
बता दें कि तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शनकारी किसान पिछले साल 26 नवंबर से दिल्ली और हरियाणा की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं। इन कृषि कानूनों को रद्द कराने पर अड़े किसान इस मुद्दे पर सरकार के साथ आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर चुके हैं। वे इन तीनों कानूनों को रद्द करने और फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी देने के लिए एक नया कानून लाने की मांग कर रहे हैं। इन विवादास्पद कानूनों पर बने गतिरोध को लेकर हुई किसानों और सरकार के बीच कई दौर की वार्ता बेनतीजा रही। किसानों ने सरकार से जल्द उनकी मांगें मानने की अपील की है। वहीं सरकार की तरफ से यह साफ कर दिया गया है कि कानून वापस नहीं होगा, लेकिन संशोधन संभव है।
गौरतलब है कि किसान हाल ही बनाए गए तीन नए कृषि कानूनों – द प्रोड्यूसर्स ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) एक्ट, 2020, द फार्मर्स ( एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेज एक्ट, 2020 और द एसेंशियल कमोडिटीज (एमेंडमेंट) एक्ट, 2020 का विरोध कर रहे हैं। केन्द्र सरकार सितंबर में पारित किए तीन नए कृषि कानूनों को कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश कर रही है, वहीं प्रदर्शन कर रहे किसानों ने आशंका जताई है कि नए कानूनों से एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी और वे बड़े कॉरपोरेट पर निर्भर हो जाएंगे।