चीन, रूस और पाकिस्तान के राजनयिकों ने तालिबान की अंतरिम सरकार के टॉप अधिकारियों के साथ-साथ काबुल में हामिद करजई और अब्दुल्ला अब्दुल्ला से मुलाकात की है। एक चीनी अधिकारी ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए बताया है कि हमने समावेशी सरकार गठन, आतंकवाद और मानवीय स्थिति को लेकर बातचीत की है।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने मीडिया से बात करते हुए बताया है कि तीन विशेष दूतों ने 21-22 सितंबर को काबुल का दौरा किया। इस दौरान कार्यवाहक पीएम मोहम्मद हसन अखुंद, विदेश मंत्री अमीर खान मुताकी, वित्त मंत्री और अंतरिम सरकार के अन्य उच्च-स्तरीय अधिकारियों के साथ बातचीत की है।
अमेरिका के काबुल छोड़ने के बाद पाकिस्तान, चीन और रूस जैसे देश अफगानिस्तान में प्रमुख भूमिका में दिख रहे हैं। अफगानिस्तान के साथ सीमा साझा करने वाले देश एक ग्रुप बनाने की कोशिश में लगे हैं। इसमें चीन, रूस और पाकिस्तान के साथ ईरान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, उज्बेकिस्तान जैसे देश शामिल हैं। हाल ही में इन देशों के विदेश मंत्रियों ने 7 नवंबर को वर्चुअल बैठक की थी।
पाकिस्तान जैसे देश तालिबान को मान्यता दिलाने के लिए बैटिंग कर रहे हैं। कई एक्सपर्ट्स इस मीटिंग को भी उसी नजरिए से देख रहे हैं। तालिबान ने कहा कि वे रूस, पाकिस्तान और चीन जैसे देशों के साथ संबंधों को बहुत महत्व देते हैं। ये देश अफगानिस्तान में स्थिरता को मजबूत करने में एक जिम्मेदार भूमिका निभाते हैं। तालिबान ने तीनों देशों से अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अफगानिस्तान को अधिक मानवीय सहायता का आह्वान किया है।