भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे मुंबई पुलिस के पूर्व मुखिया परमबीर सिंह की मुश्किलें कम होने का नाम ही नहीं ले रही हैं। महाराष्ट्र सरकार द्वारा गठित चांदीवाल न्यायिक आयोग ने बुधवार को मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह को नया समन जारी किया और उन्हें छह अक्टूबर तक पैनल के सामने पेश होने को कहा। इस महीने की शुरुआत में आयोग ने परमबीर सिंह के खिलाफ 100 करोड़ रुपये के कथित भ्रष्टाचार के मामले में जमानती वारंट जारी किया था।
पैनल के वकील ने समाचार एजेंसी एएनआई के हवाले से कहा कि पिछले कुछ महीनों में परमबीर सिंह को कई समन जारी हुए हैं। मगर परमबीर सिंह अब तक पैनल के सामने पेश नहीं हुए हैं। बता दें कि सिंह ने राज्य के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था, जिसकी जांच के लिए महाराष्ट्र सरकार ने आयोग का गठन किया है।
वसूली कांड में परमबीर सिंह ने दावा किया था कि अनिल देशमुख ने मुंबई के निलंबित पुलिस अधिकारी सचिन वाझे को हर महीने ₹ 100 करोड़ इकट्ठा करने के लिए कहा था। बता दें कि जमानती वारंट जारी करने से पहले आयोग ने पेश नहीं होने पर परमबीर सिंह पर तीन बार जुर्माना लगाया था। आयोग ने जून में 5,000 रुपये और पिछले महीने दो बार 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया था। आयोग ने परमबीर सिंह के खिलाफ 50 हज़ार रुपए का जमानती वारंट जारी किया। पिछले सप्ताह बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह द्वारा दायर उस याचिका को सुनवाई के योग्य नहीं माना था, जिसमें उन्होंने महाराष्ट्र सरकार द्वारा उनके खिलाफ शुरू की गई दो प्राथमिक जांच को रद्द करने का अनुरोध किया है। न्यायमूर्ति एस एस शिंदे और न्यायमूर्ति एन जे जामदार की खंडपीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि सिंह द्वारा मांगी गयी राहत पर केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण फैसला ले सकता है क्योंकि यह सेवा का मामला है।
बुधवार को उद्धव ठाकरे सरकार ने परमबीर सिंह के खिलाफ एक और जांच के लिए राज्य भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) को अपनी मंजूरी दे दी। एसीबी पुलिस निरीक्षक अनूप डांगे की शिकायत पर सिंह के खिलाफ एक अलग जांच कर रहा है, जिसने आरोप लगाया है कि सिंह ने पिछले साल निलंबन के दौरान एक रिश्तेदार के माध्यम से उसे बहाल करने के लिए ₹ 2 करोड़ की मांग की थी।