16 सितंबर 2019 को भोगांव के नवोदय विद्यालय में फांसी पर लटकी मिली छात्रा की मौत पहेली बन चुकी है। हाईकोर्ट में दाखिल जनहित याचिका पर प्रदेश के डीजीपी सहित तीन जिलों के एसपी बुधवार को पेश हुए तो ये मामला फिर से चर्चा का विषय बन गया। महेंद्र प्रताप सिंह की जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एम एन भंडारी तथा न्यायमूर्ति ए के ओझा की खंडपीठ ने डीजीपी से कहा है कि तत्कालीन एसपी को हटाया जाए या जबरन सेवानिवृत्त करें। कोर्ट ने पंचनामे की वीडियो रिकार्डिंग देखी। कोर्ट ने पुलिस के रवैये पर कड़ी नाराजगी जाहिर की और डीजीपी को पूरी तैयारी के साथ कर कोर्ट में आने का निर्देश दिया। कहा कि कल तक प्रयागराज ना छोड़े।
जवाहर नवोदय विद्यालय में मैनपुरी निवासी कक्षा 11 की छात्रा का शव फांसी पर लटका मिला था। इस मौत को दुष्कर्म के बाद हत्या बताया गया और परिजनों की तहरीर पर भोगांव कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया गया। भोगांव पुलिस ने मृतका के पिता की तहरीर पर नवोदय की प्रधानाचार्या सुषमा सागर, वार्डन विश्रुति, स्कूल के छात्र अजय पुत्र जयप्रकाश निवासी ललूपुर व उसके अन्य साथियों के खिलाफ पुलिस ने हत्या, दुष्कर्म, पॉक्सो एक्ट की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था। पुलिस ने जांच के दौरान 2 नवंबर 2019 को घटना को आत्महत्या मान लिया और हत्या की धारा हटा दी। अज्ञात आरोपी भी हटा दिए।
15 सितंबर को नामजदों ने दी थी मारने की धमकी
पिता ने शिकायत की थी कि 12 सितंबर को पुत्री से मिलने उसकी मां स्कूल गई तो उसने शिकायत की थी कि प्रधानाचार्या सुषमा सागर, विद्यालय का छात्र अजय व उसके साथी उसे परेशान करते हैं और जान से मारने की धमकी देते हैं। पत्नी ने यह शिकायत प्रधानाचार्या से करने की कोशिश की तो उन्होंने मिलने से इनकार कर दिया। 15 सितंबर को पुत्री ने फोन से मां को जानकारी दी कि उपरोक्त लोग उसे फिर मारने की धमकी दे रहे हैं। 16 सितंबर की सुबह प्रधानाचार्या सुषमा सागर, हॉस्टल वार्डन, विद्यालय के छात्र अजय व उसके साथियों ने अनुष्का को पीटा और उसे फांसी पर लटका दिया, जिससे उसकी मौत हो गई।
मैनपुरी पुलिस ने छात्रा की हत्या हुई ये कभी नहीं माना
छात्रा की संदिग्ध हालात में मौत ने मैनपुरी पुलिस की नींद उड़ा रखी है। डीजीपी के तलब होने के बाद इस मामले में फिर से गर्मी आ गई है। हाईकोर्ट की नाराजगी सामने आने के बाद एक बात तो तय हो गई है कि इस मामले में बड़े स्तर पर कार्रवाई होगी। खास बात ये है कि मैनपुरी पुलिस ने छात्रा की मौत को कभी हत्या माना ही नहीं। पुलिस ने घटना को आत्महत्या करार दिया और रेप की बात को भी स्वीकार नहीं किया। हालांकि हत्या की धारा हटाने के बाद दुष्कर्म की धारा पर विवेचना आज भी पुलिस कर रही है। मामले को आज दो वर्ष पूरे हो गए हैं। 16 सितंबर की सुबह छात्रा का शव नवोदय विद्यालय के एक कक्ष में लटका मिला था। इस घटना के बाद परिजनों का आक्रोश फट पड़ा। इमरजेंसी में ही प्रधानाचार्य सुषमा सागर को घटना के लिए जिम्मेदार ठहराया गया। स्कूल के एक छात्र को भी इस घटना में आरोपी बनाया गया है। इस मामले में परिजनों ने नगर पालिका परिसर में भूख हड़ताल की थी। उनकी मांग थी कि इस मामले को सीबीआई को सौंपा जाए। तत्कालीन डीएम प्रमोद उपाध्याय और एसपी अजय शंकर राय ने सीबीआई जांच की संतुति किए जाने की जानकारी देकर भूख हड़ताल कराई थी।
सीबीआई जांच के स्थान पर बनाई गई एसआईटी
स्थानीय प्रशासन ने भले ही सीबीआई जांच की बात कही लेकिन शासन ने इस पूरे प्रकरण को एसआईटी के हवाले कर दिया। एसआईटी में शामिल आईजी कानपुर मोहित अग्रवाल, एसपी मैनपुरी अजय कुमार पांडेय तथा एसटीएफ के सीओ श्यामकांत को शामिल किया गया। एसआईटी अब तक इस प्रकरण में 150 से अधिक लोगों के डीएनए की जांच करा चुकी है। पिछले दिनों 10 अन्य लोगों के डीएनए की जांच कराई गई, लेकिन सारी रिपोर्ट नैगेटिव आयी हैं।
तीन जिलों के एसपी को भी किया गया है तलब
अब जनहित याचिका पर प्रदेश के डीजीपी, तत्कालीन मैनपुरी के एसपी और वर्तमान में हरदोई के एसपी अजय कुमार पांडेय, तत्कालीन एसपी मैनपुरी और वर्तमान में उन्नाव के एसपी अविनाश कुमार पांडेय तथा वर्तमान एसपी मैनपुरी अशोक कुमार राय को हाईकोर्ट ने तलब किया तो ये मामला फिर से गरमा गया है।