सरकार सिस्टम सुधारने के चाहे लाख दावे करे, लेकिन आज हालात पहले की ही तरह हैं। पुलिस को अपनी पावर का घमंड है और आम आदमी इसमें पिस रहा है। हल्द्वानी के ट्रांसपोर्ट कारोबारियों की पीड़ा सुनकर ऐसा ही प्रतीत होता है। कारोबारियों के मुताबिक ट्रक चालकों पर छोटे-छोटे नुस्खे निकालकर दबाव बनाया जाता है। चालान न भुगतने पर गाड़ी सीज करने की बात कही जाती है।
हर चक्कर में 2500 से 3000 रुपये तक चालान तो तय है। इतना ही नहीं महीने में होने वाली बचत में से 20 से 30 हजार रुपये पुलिस के चढ़ावे के लिए ही चाहिए। ऐसे ट्रांसपोर्टर जो कमाते हैं, उनका सब चालान में ही डूब जाता है। ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि पुलिस और सीपीयू को ट्रक चेक करने का कोई अधिकार नहीं है। आरटीओ चेकिंग करें और कोई कमी हो तो कार्रवाई हो।
पुलिस और सीपीयू उगाही कर रहे हैं। एक गाड़ी के दो महीने में 40 चालान यह तो हैरानी की बात है। हल्द्वानी से काठगोदाम के बीच 9 स्थानों पर अनाधिकृत चेकिंग होती है। ऐसे में कारोबारी क्या बचाएगा,क्या खाएगा।
राजकुमार नेगी, अध्यक्ष, देवभूमि ट्रक ओनर यूनियन
गाड़ी खाली हो या भरी चालान होना ही है। जबरन 500 रुपये का चालान कटवाया जाता है। जहां भी चेकिंग हो, वहां पैसा मांगा जाता है। हर चक्कर में 2500 रुपये चालान में ही जाते हैं।
राजेश कुमार, ट्रक मालिक
सीपीयू और पुलिस को कोई अधिकार नहीं है कि वे हर जगह चेकिंग करे और कागज मांगें। यह आरटीओ का काम है। आरटीओ के स्तर पर चेकिंग हो और गलत लगता है तो कार्रवाई की जाए।
डीसी शर्मा, ट्रक मालिक
मेरी गाड़ी रविवार सुबह अल्मोड़ा पहुंची और वहां चार चालान किए गए। पुलिस अपनी पावर का गलत इस्तेमाल कर रही है। ऐसे में कारोबारी क्या करेगा।
रोहित रौतेला, ट्रक मालिक
चौकी में चालक पैसे न दे तो उसे धमकाया जाता है। चालान करने और गाड़ी सीज करने का डर दिखाया जाता है। 20-30 हजार रुपये तो हर महीने सिर्फ चालान के लिए चाहिए।
संतोष बेलवाल, ट्रक मालिक