नोएडा सेक्टर-93ए स्थित सुपरटेक एमराल्ड मामले में नोएडा प्राधिकरण ने प्रारंभिक जांच पूरी कर रिपोर्ट शासन को भेज दी है। रिपोर्ट में आठ अफसरों को दोषी माना गया है। शासन अब इस रिपोर्ट पर फैसला लेगा। उम्मीद जताई जा रही है कि रिपोर्ट एसआईटी अपनी जांच में शामिल करेगी। दूसरी ओर इस मामले में शासन स्तर पर गठित एसआईटी जांच करने के लिए दो-तीन दिन में नोएडा आएगी।
जानकारी के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर नोएडा विकास प्राधिकरण की दोनों एसीईओ की कमेटी ने सुपरटेक मामले में तीन बिंदुओं पर जांच की। पहले बिंदु के रूप में वर्ष 2009 में मानचित्र में हुआ बदलाव, दूसरे बिंदु के रूप में वर्ष 2012 में मानचित्र में हुआ बदलाव और तीसरा बिंदु इस परियोजना से जुड़ी जानकारी आरटीआई के जरिए न देने की जांच हुई। इन तीनों बिंदुओं पर प्राधिककरण जिन आठ अधिकारियों ने लापरवाही बरती, उनको प्रारंभिक जांच में दोषी माना गया है।
इस बारे में नोएडा प्राधिकरण की सीईओ रितु माहेश्वरी ने बताया कि प्राधिकरण ने प्रारंभिक जांच कर रिपोर्ट शासन को भेज दी है। अब प्राधिकरण की जांच एसआईटी को शिफ्ट हो गई है। एसआईटी गठित होने के आदेश की कॉपी मिल गई है। इससे आगे क्या हुआ, अभी कोई जानकारी नहीं है। दूसरी ओर अधिकारियों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की सत्यापित कॉपी शनिवार को प्राप्त हो जाएगी। ऐसे में टावर गिराने के लिए शनिवार को सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीटयूट रुड़की को पत्र लिखा जाएगा। इस मुद्दे पर जल्द उनके साथ बैठक भी की जाएगी।
मानचित्र पर फैसले को लेकर समिति लेती थी फैसला : अधिकारियों ने बताया कि वर्ष 2009 और 12 में जब सुपरटेक एमरॉल्ड से संबंधित परियोजना के मानचित्रों में बदलाव किया गया, उस समय इन पर फैसला लेने के लिए एक समिति ही बनाई हुई थी, उन्हीं के हस्ताक्षर होते थे। इस समिति में नियोजन के अलावा ग्रुप हाउसिंग व सिविल विभाग के अधिकारी शामिल होते थे। मंजूरी के लिए फाइल ओएसडी, एसीईओ व मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) को नहीं भेजी जाती थी। वर्तमान समय में मंजूरी के लिए फाइल सीईओ तक के पास आ रही है।
ये अफसर हैं दोषी
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि जिन अधिकारियों और कर्मचारियों को दोषी माना गया है, उनमें- मुख्य वास्तुविद त्रिभुवन सिंह, वीए देवपुजारी, वरिष्ठ नगर नियोजक राजपाल कौशिक, नगर नियोजक अशोक कुमार मिश्रा, संयुक्त नगर नियोजक विमला सिंह व नियोजन सहायक मुकेश गोयल हैं। इनके अलावा परियोजना अभियंता बाबू राम और ग्रुप हाउसिंग विभाग के एजीएम शैलेंद्र कैरे शामिल हैं। इनमें वर्तमान में विमला सिंह नोएडा प्राधिकरण में कार्यरत हैं। मुकेश गोयल का पिछले महीने ही गोरखपुर तबादला हो गया था। सुपरटेक एमराल्ड मामले में केस की अपडेट नहीं देने पर सीईओ रितु माहेश्वरी की रिपोर्ट पर शासन ने उनको सस्पेंड कर दिया है।
वर्ष 2009 के समय नोएडा प्राधिकरण ने पूरे शहर को पांच सिविल कंस्ट्रक्शन डिवीजन क्षेत्र में बांट रखा था। उस समय सेक्टर-93ए डिवीजन-5 के क्षेत्र में आता था। मेंटीनेंस के हिसाब से शहर तीन डिवीजन में बंटा हुआ था। अधिकारियों ने बताया कि रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है। अब इस जांच को एसआईटी की जांच में शामिल किया जाएगा।
वकील को भी कारण बताओ नोटिस
इस मामले की हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में पैरवी कर रहे वकील रविंद्र कुमार को भी सीईओ की तरफ से कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। सीईओ रितु माहेश्वरी ने बताया कि नोटिस के जरिए पूछा गया है कि इस मामले से संबंधित सभी अपडेट से क्यों अवगत नहीं कराया गया। गौरतलब है कि इन वकील ने ही दोनों जगह सुनवाई के दौरान नोएडा प्राधिकरण की अनुमति प्रक्रिया को सही ठहराया था।
नोएडा आ सकती है एसआईटी
इस मामले में गठित की गई एसआईटी के शुक्रवार को नोएडा में आने के कयास लगाए जा रहे हैं। हालांकि, अभी कोई टीम भी नहीं आई है। प्राधिकरण अधिकारियों का कहना है कि दो-तीन दिन के अंदर एसआईटी नोएडा में आ सकती है। यहां पर रहकर एसआईटी की टीम प्राधिकरण से इस मामले से जुड़े सभी दस्तावेज तलब करेगी।