अफगानिस्तान में तालिबान के राज को लेकर ब्रिटेन के रुख में बड़ा बदलाव आया है। ब्रिटिश विदेश मंत्री डोमिनिक राब ने शुक्रवार को कहा कि हम तालिबान की सरकार को मान्यता नहीं देंगे। लेकिन नई हकीकतों का सामना करने के लिए हम तैयार हैं क्योंकि अफगानिस्तान को सामाजिक और आर्थिक रूप से टूटा हुआ नहीं देखना चाहते। पाकिस्तान के अपने दौरे में डोमिनिक राब ने कहा कि काबुल से 15,000 लोगों को निकाल पाना संभव नहीं होता, यदि तालिबान सहयोग नहीं करता। तालिबान ने 15 अगस्त को अफगानिस्तान पर कब्जा जमा लिया था।
ब्रिटिश विदेश मंत्री ने कहा कि हम इस सरकार को मान्यता नहीं देंगे। इसके साथ ही ब्रिटिश मंत्री ने कहा कि हम सरकारों की बजाय देश को मान्यता देते हैं। राब ने कहा कि हम सीधे डायलॉग करने और संपर्क को महत्व देते हैं। राब का कॉमेंट यह बताता है कि किस तरह से ब्रिटेन और अमेरिका जैसे पश्चिमी देशों की राय तालिबान के शासन को लेकर बदल रही है। काबुल में तालिबान का शासन स्थापित होने के बाद से ही अमेरिका समेत कई देशों के सुर बदले हुए दिख रहे हैं। यहां तक कि पिछले दिनों काबुल एयरपोर्ट पर हुए आतंकी हमले को लेकर भी अमेरिका ने कहा था कि इसमें तालिबान का हाथ नहीं है बल्कि इस्लामिक स्टेट ने ऐसा किया है।
यही नहीं जानकारों का कहना है कि इस्लामिक स्टेट से निपटने के लिए अमेरिका की ओर से तालिबान से मदद भी ली जा सकती है। दरअसल पश्चिमी देशों का मानना है कि यदि तालिबान से बात नहीं की गई तो अफगानिस्तान में मानवीय संकट खड़ा हो सकता है। देश के आर्थिक और सामाजिक तौर पर बिखरने से लाखों की संख्या में रिफ्यूजी दुनिया भर में पलायन कर सकते हैं। यही वजह है कि अमेरिका समेत कई देश संतुलन की रणनीति पर काम कर रहे हैं। हालांकि अब भी इस बात को लेकर चिंताएं बनी हुई हैं कि क्या तालिबान पहले की तरह ही क्रूर शासन करता है या फिर महिलाओं और दूसरे देशों के लोगों के साथ उदारता से पेश आता है।
EU बना सकता है काबुल में अपना साझा दूतावास
इस बीच यूरोपियन ने भी कहा है कि वह अफगानिस्तान में अपनी साझा मौजूदगी पर विचार कर सकता है। यूरोपियन यूनियन के फॉरेन पॉलिसी चीफ जोसेप बॉरेल ने कहा कि यदि अफगानिस्तान में सुरक्षा के हालात सही रहते हैं तो फिर हमारी ओर से साझा मौजूदगी दर्ज कराई जा सकती है।