दिल्ली हाईकोर्ट ने जंतर-मंतर के पास पिछले महीने भारत छोड़ो आंदोलन की वर्षगांठ पर आयोजित एक रैली के दौरान कथित भड़काऊ नारेबाजी के मामले में मुख्य आयोजकों में से एक प्रीत सिंह की जमानत याचिका पर शुक्रवार को दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है।
जस्टिस मुक्ता गुप्ता ने प्रीत सिंह की जमानत याचिका पर नोटिस जारी कर पुलिस को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। प्रीत सिंह को गिरफ्तारी के बाद 10 अगस्त को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। प्रीत सिंह पर आठ अगस्त को जंतर-मंतर पर आयोजित एक रैली के दौरान विभिन्न समूहों के बीच कटुता पैदा करने और युवाओं को एक विशेष धर्म के खिलाफ दुष्प्रचार के लिए उकसाने का आरोप है।
सिंह ने वकील विष्णु शंकर जैन के जरिए दायर अपनी याचिका में दावा किया है कि वह किसी भी व्यक्ति या समुदाय के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने या नारेबाजी में शामिल नहीं थे।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अनिल अंतिल ने 27 अगस्त को प्रीत सिंह को जमानत देने से इनकार कर दिया था और कहा था कि संविधान के तहत एकत्र होने का अधिकार और अपने विचार व्यक्त करने की आजादी है, लेकिन यह परम नहीं है और उचित प्रतिबंधों के साथ इसका प्रयोग किया जाता है। अदालत ने रिकॉर्ड में रखे गए दस्तावेज और अभियोजन पक्ष द्वारा दी गई दलीलों के आधार पर कहा कि प्रथम दृष्टया आरोपी ने अपनी व्यक्तिगत क्षमता से और कार्यक्रम के मुख्य आयोजक के रूप में भी सक्रिय भागीदारी की थी।
सत्र अदालत ने यह भी कहा कि दिल्ली पुलिस द्वारा अनुमति देने से इनकार किए जाने और केंद्र सरकार के कोविड दिशानिर्देशों की अवहेलना कर जंतर-मंतर पर कार्यक्रम आयोजित किया गया था। मामले में अगली सुनवाई 15 सितंबर को होगी।
दिल्ली की एक अदालत ने कथित तौर पर सांप्रदायिक नारेबाजी करने वाले भूपेंद्र तोमर उर्फ पिंकी चौधरी को गुरुवार को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। पिंकी चौधरी हिन्दू रक्षा दल नामक एक संगठन का अध्यक्ष है और उस पर आठ अगस्त को जंतर मंतर पर आयोजित एक सभा में एक धर्म विशेष के विरुद्ध आपत्तिजनक नारे लगाने का आरोप है।
दिल्ली पुलिस ने पूछताछ के लिए पिंकी चौधरी की एक दिन की हिरासत पूरी होने के बाद उसे मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट प्रयंक नायक की अदालत में पेश किया था, जहां से आरोपी को जेल भेज दिया गया। पुलिस ने अदालत को बताया कि आरोपी से और पूछताछ की जरूरत नहीं है और उसे जेल भेजने का अनुरोध किया।
आरोपी ने 31 अगस्त को दिल्ली पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया था। न्यायाधीश ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि आरोपी को 16 सितंबर को अदालत के सामने पेश किया जाए।
वकील अश्विनी उपाध्याय ने की थी कार्यक्रम की अगुवाई
इस कार्यक्रम की अगुवाई सुप्रीम कोर्ट के वकील और पीआईएल मैन के नाम से प्रसिद्ध अश्विनी उपाध्याय ने की थी। अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि अंग्रेजी कानून बहुत घटिया हैं, इसीलिए प्रसिद्धि पाने के लिए मजहबी उन्माद फैलाया जाता है। जब तक घटिया अंग्रेजी कानूनों को बदलकर अच्छे कानून नहीं बनेंगे, तब तक अलगाववाद, कट्टरवाद और मजहबी उन्माद कम नहीं होगा 15 मिनट में हिंदुओं को खत्म करने वाला आज विधानसभा में बैठा है।
बता दें कि जंतर- मंतर पर शुरू हुए आंदोलन में 1860 में बने इंडियन पीनल कोड, 1861 में बने पुलिस ऐक्ट, 1863 में बने रिलिजियस एंडोमेंट ऐक्ट और 1872 में बने एविडेंस एक्ट सहित सभी 222 अंग्रेजी कानूनों को खत्म करने की मांग की गई। इसके साथ ही भारत में समान शिक्षा, समान चिकित्सा, समान कर संहिता, समान दंड संहिता, समान श्रम संहिता, समान पुलिस संहिता, समान न्यायिक संहिता, समान नागरिक संहिता, समान धर्मस्थल संहिता और समान जनसंख्या संहिता लागू करने की मांग की।
अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि जब तक घटिया 222 अंग्रेजी कानून खत्म नहीं होंगे, तब तक जातिवाद, भाषावाद,क्षेत्रवाद, अलगाववाद कट्टरवाद, मजहबी उन्माद, माओवाद, नक्सलवाद तुष्टीकरण और राजनीति का अपराधीकरण कम नहीं होगा। जब तक घटिया अंग्रेजी कानून खत्म नहीं होंगे तब तक चोरी लूट झपटमारी, घूसखोरी, जमाखोरी, मिलावटखोरी, कालाबाजारी, कमीशनखोरी,मुनाफाखोरी मानव तस्करी, नशा तस्करी, चंदन तस्करी, हवाला कारोबार, कालाधन और बेनामी संपत्ति कम नहीं होगी। जब तक घटिया अंग्रेजी कानून खत्म नहीं होगा तब तक रोहिंग्या, बांग्लादेशी घुसपैठ और साम दाम दंड भेद द्वारा धर्मांतरण समाप्त नहीं होगा।
इस मौके पर वरिष्ठ पुलिस अधिकारी डॉक्टर आनंद कुमार, वरिष्ठ नौकरशाह आर वी एस मणि, लेफ्टिनेंट जनरल विष्णु कांत चतुर्वेदी, सामाजिक कार्यकर्ता भाई प्रीत सिंह और अनिल चौधरी, आध्यात्मिक गुरु स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती, कालका पीठाधीश्वर महंत सुरेंद्र नाथ, स्वामी यतींद्रनंद गिरी और महाभारत में युधिष्ठिर का किरदार निभाने वाले गजेंद्र चौहान कार्यक्रम में उपस्थित थे।