तालिबान और भारत के बीच पहले कूटनीतिक संपर्क पर निशाना साधते हुए ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्र सरकार से पूछा है कि वह इसे आतंकवादी संगठन मानती है या नहीं? उन्होंने यह भी सवाल किया है कि सरकार तालिबान से गुपपुच क्यों बात रही है, खुलकर क्यों नहीं कहती है? इसे राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा बताते हुए उन्होंने कहा कि सरकार को जवाब देना पड़ेगा। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि पाकिस्तान और तालिबान का ऐसा रिश्ता है जो कभी खत्म नहीं हो सकता।
ओवैसी ने गुरुवार को पत्रकारों से बातचीत में सरकार को यह साफ करने को कहा कि वह इसे आतंकवादी संगठन मानती है या नहीं। ओवैसी ने कहा कहा, ”सरकार क्यों शरमा रही है? पास आते भी नहीं, चिलमन से हटते भी नहीं। ये पर्दे से झांक-झांककर क्यों मोहब्बत कर रहे हैं, खुलकर बोलिए ना। यह देश का मामला है, राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में सरकार इन सवालों का जवाब देना होगा, जो हम उठा रहे हैं।”
पाकिस्तान की ओर से तालिबान को संरक्षण देने की बात स्वीकार किए जाने पर ओवैसी ने कहा, ”हम उनको अपने सरजमी पर बुलाकर चाय पिलाते हैं, बिस्किट खिलाते हैं, कवाब खिलाते हैं, अगर पाकिस्तान स्वीकार कर रहा है तो आप तालिबान के आदमी को भारत की सरजमीं पर बुलाकर चाय, बिस्किट और कबाब खिलाएंगे? यह बिलकुल सही है, तालिबान और पाकिस्तान का तो ऐसा रिश्ता है जो कभी खत्म नहीं होगा।
कतर में भारतीय राजदूत दीपक मित्तल और तालिबान के नेता शेर मोहम्मद अब्बास स्तानिकजई से भारतीय दूतावास में ही मुलाकात की। 15 अगस्त को काबुल पर नियंत्रण के बाद यह भारत का तालिबान के साथ पहला आधिकारिक संपर्क है। विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा, “कतर में भारत के राजदूत दीपक मित्तल ने दोहा में तालिबान के राजनीतिक दफ्तर के प्रमुख शेर मोहम्मद अब्बास स्तानिकजई से मुलाकात की। तालिबान के आग्रह पर यह बैठक भारत के दूतावास में हुई।” विदेश मंत्रालय के मुताबिक इस बैठक में भारतीयों की वापसी समेत कई मुद्दों पर बातचीत हुई।