रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अफगानिस्तान मसले को लेकर अमेरिका को जमकर कोसा है। उन्होंने कहा है कि अफगानिस्तान में अमेरिकी सैन्य हस्तक्षेप से सभी पक्षों को नुकसान पहुंचा है। अमेरिका ने नुकसान के अलावा कुछ भी नहीं हासिल किया है। यह बताता है कि किसी देश पर विदेशी मूल्यों को थोपना असंभव है। अगर कोई किसी के लिए कुछ करता है, तो उन्हें उन लोगों के इतिहास, संस्कृति, जीवन दर्शन के बारे में जानकारी लेनी चाहिए। उनकी परंपराओं का सम्मान करना चाहिए।
पुतिन ने आगे कहा है कि अमेरिकी सेना अफगानिस्तान में 20 सालों तक रही। उस 20 सालों में उन्होंने अफगानिस्तान के लोगों को अमेरिकी सभ्यता सिखाने की नाकाम कोशिश की। उन्होंने आगे कहा है कि इस पूरे मामले का नतीजा अगर नकारात्मक नहीं है तो शून्य है।
बता दें कि अमेरिकी सेना पूरी तरह से 31 अगस्त को अफगानिस्तान से लौट गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने इसे सैन्य अभियानों के एक युग का अंत बताया था।
रूस की सिरदर्दी बढ़ गई है?
अमेरिका का अफगानिस्तान से निकलने के बाद से रूस की सिरदर्दी भी बढ़ी हुई है। रूस नहीं चाहता है कि मध्य एशिया में कट्टरपंथी इस्लाम का फैलाव हो। और यही कारण है कि रूस ने ताजिकिस्तान जैसे देशों को तालिबान से सुरक्षा का भरोसा दिया है। इसी कड़ी में रूस ने ताजिकिस्तान स्थित अपने मिलिट्री अड्डे को मजबूत किया है और ताजिकिस्तान के बॉर्डर इलाके में सैन्य अभियास में जुटा हुआ है।
रूसी सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों ने सुरक्षा प्रमुखों को मध्य एशिया में अस्थिरता, तालिबान के फैलाव, चरमपंथियों के संभावित घुसपैठ, अफगानिस्तान के अफीम उत्पादन को लेकर अलर्ट कर दिया है।