वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव की बाजी जीतने के लिए कांग्रेस और भाजपा वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव के नतीजों को भी खंगाल रहे हैं। वर्ष 2017 के चुनाव में 25 से ज्यादा नेताओं ने निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ते हुए शानदार प्रदर्शन किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रचंड लहर के बावजूद भीमताल में राम सिंह कैड़ा और धनोल्टी में प्रीतम पंवार ने जीत भी हासिल की।
जबकि कुछ ने कई सीटों पर खुद हारने के बावजूद कहीं भाजपा तो कहीं कांग्रेस के अरमानों को मिट्टी में मिला दिया। भाजपा-कांग्रेस के साथ ही आम आदमी पार्टी भी ऐसे नेताओं पर निगाहें गड़ाए हुए है, जो विधानसभा चुनाव में जिताऊ मैटेरियल हो सकते हैं। वर्ष 2017 में प्रदेश में कांग्रेस की हरीश रावत सरकार की मौजूदगी और देशभर में प्रचंड मोदी लहर के बावजूद निर्दलीय और बागियों का प्रदर्शन काफी चौंकाने वाला रहा था।
माना जा रहा था कि यदि इनमें कई नेताओं को यदि पार्टी का टिकट मिल जाता तो चुनाव का नतीजा बदल भी सकता था। दरअसल, भाजपा और कांग्रेस आगामी विधानसभा चुनाव में जीत को लेकर जरा भी रिस्क लेने की स्थिति में नहीं हैं। इसके चलते पार्टी स्तर से हर संभावना को खंगाला जा रहा है।
कांग्रेस छोड़कर लड़े चुनाव:धनीलाल शाह, महेश शर्मा, हरेंद्र बोरा, शूरवीर सिंह सजवाण, आर्येद्र शर्मा, लक्ष्मी अग्रवाल, रेणु बिष्ट, खजान चंद्र, प्रदीप थपलियाल, हेमचंद्र आर्य।
भाजपा छोड़कर लड़े चुनाव:ओम गोपाल, संदीप गुप्ता, प्रमोद नैनवाल, राजीव अग्रवाल।
आप ने मजबूत कैंडिडेट जुटाना शुरू किया
आम आदमी पार्टी ने वर्ष 2017 में विधानसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने वाले दूसरे दलों के नेताओं को जोड़ना शुरू कर दिया है। आप ने अब तक बसपा के किले में ही सेंध लगाई है। आप ने बागेश्वर से बीएसपी से चुनाव लड़े बसंत कुमार को साथ जोड़ा है। बसंत ने 11038 वोट हासिल किए थे। इसी प्रकार कपकोट से बसपा के टिकट पर लड़कर 6964 वोट पाने वाले भूपेश उपाध्याय भी आप का दामन थाम चुके हैं। बसपा के टिकट पर गदरपुर से लड़े जनरैल सिंह काली को भी आप ने अपने साथ जोड़ लिया है। उन्हें 26 हजार 46 वोट मिले थे।