अफगानिस्तान में एक बाद एक नए शहरों पर कब्जा जमा रहे तालिबान को एक और कामयाबी मिली है। हेरात, कंधार, हेलमंद के बाद अब तालिबान ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के दक्षिण में स्थित लोगार प्रांत पर कब्जा कर लिया है। अफगानिस्तान के एक सांसद होमा अहमदी ने कहा कि तालिबान ने पूरे प्रांत पर कब्जा कर लिया है, जिसमें उसकी राजधानी भी शामिल है और वह शनिवार को पड़ोसी काबुल प्रांत के एक जिले में पहुंच गया। बता दें कि तालिबान देश के समूचे दक्षिणी भाग पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया और धीरे-धीरे काबुल की तरफ बढ़ रहा है।
तालिबान देश की राजधानी काबुल के दक्षिण में 80 किलोमीटर (50 मील) से भी कम दूरी पर पहुंच गया है। अफगानिस्तान से अमेरिका की पूर्णतय: वापसी में तीन सप्ताह से भी कम समय शेष बचा है और ऐसे में तालिबान ने उत्तरी, पश्चिमी और दक्षिणी अफगानिस्तान के अधिकतर हिस्सों पर कब्जा कर लिया है। इतना ही नहीं, तालिबान ने उत्तरी अफगानिस्तान के बड़े शहर मजार-ए-शरीफ पर चौतरफा हमला शुरू कर दिया है, जिसकी सुरक्षा शक्तिशाली पूर्व छत्रप कर रहे हैं।
इससे पहले शुक्रवार को पिछले 24 घंटे में देश के दूसरे और तीसरे सबसे बड़े शहर – पश्चिम में हेरात और दक्षिण में कंधार पर नियंत्रण के बाद तालिबान ने हेलमंद प्रांत की राजधानी लश्करगाह पर कब्जा कर लिया। लगभग दो दशक के युद्ध के दौरान हेलमंद में सैकड़ों की संख्या में विदेशी सैनिक वहां मारे गए थे। दक्षिणी क्षेत्र पर कब्जे का मतलब है कि तालिबान ने 34 प्रांतों में से आधे से ज्यादा की राजधानियों पर नियंत्रण बना लिया है। ऐसे में जब अमेरिका कुछ सप्ताह बाद अपने आखिरी सैनिकों को वापस बुलाने वाला है तालिबान ने देश के दो-तिहाई से अधिक क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है।
काबुल के दक्षिण में स्थित लोगार प्रांत में कब्जा जमाने के बाद अब तालिबान की नजर काबुल पर होगी। यह शहर काबुल से लगभग 80 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है। हालांकि, काबुल अभी सीधे तौर पर खतरे में नहीं है, लेकिन अन्य जगहों पर नुकसान और लड़ाइयों ने तालिबान की पकड़ को और मजबूत कर दिया है। नवीनतम अमेरिकी सैन्य खुफिया आकलन से पता चलता है कि काबुल 30 दिनों के भीतर विद्रोहियों के दबाव में आ सकता है और अगर मौजूदा रुख जारी रहा तो तालिबान कुछ महीनों के भीतर देश पर पूर्ण नियंत्रण हासिल कर सकता है। यदि तालिबान यही गति बनाए रखता है तो अफगान सरकार को आने वाले दिनों में पीछे हटने और राजधानी और केवल कुछ अन्य शहरों की रक्षा के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।
शुक्रवार को चरमपंथी समूह ने दक्षिण में हेलमंद के अलावा उरुजगान और जाबुल प्रांतों की राजधानियों पर कब्जा कर लिया। हेलमंद में प्रांतीय परिषद के प्रमुख अताउल्लाह अफगान का कहना है कि तालिबान ने भारी लड़ाई के बाद प्रांतीय राजधानी लश्करगाह पर कब्जा कर लिया और सरकारी प्रतिष्ठानों पर अपना सफेद झंडा फहरा दिया है। उन्होंने कहा कि लश्करगाह के बाहर स्थित राष्ट्रीय सेना के तीन ठिकाने सरकार के नियंत्रण में हैं। जाबुल प्रांत में प्रांतीय परिषद के प्रमुख अत्ता जान हकबायन ने कहा कि राजधानी कलात तालिबान के नियंत्रण में चली गई है और अधिकारी पास के एक सैन्य शिविर में हैं और वे वहां से निकलने की तैयारी कर रहे हैं।
ऐसे में जब सुरक्षा स्थिति तेजी से बिगड़ रही है, अमेरिका ने काबुल में अमेरिकी दूतावास से कुछ कर्मियों को निकालने में मदद करने के लिए 3,000 सैनिकों को भेजने की योजना बनाई है। वहीं ब्रिटेन ने कहा है कि देश छोड़ने वाले ब्रिटेन के नागरिकों की मदद करने के लिए लगभग 600 सैनिकों को अल्पकालिक आधार पर तैनात किया जाएगा। कनाडा भी अपने दूतावास को खाली करने में मदद करने के लिए विशेष बल भेज रहा है।
तालिबान द्वारा फिर से एक क्रूर, दमनकारी सरकार स्थापित करने के भय के बीच हजारों अफगान नागरिक अपने घरों से भाग गए हैं। कतर में शांति वार्ता रुकी हुई है, हालांकि राजनयिक अभी भी मुलाकात कर रहे हैं। अमेरिका, यूरोपीय और एशियाई देशों ने चेतावनी दी है कि बलपूर्वक स्थापित किसी भी सरकार को खारिज किया जाएगा। वार्ता के लिए अमेरिकी दूत जलमय खलीलजाद ने कहा कि हम शहरों के खिलाफ हमलों को तत्काल समाप्त करने की मांग करते हैं और एक राजनीतिक समाधान का आग्रह करते हैं।