परफार्मेंस ग्रांट पाने वाली जिले की दो ग्राम पंचायतों में अनियमिता के मामले में जिला पंचायत राज अधिकारी हिमांशु शेखर ठाकुर समेत 10 पर गुलरिहा थाने में एफआइआर दर्ज की गई है। ग्राम पंचायत भरोहिया में पूर्व ग्राम प्रधान और सचिव पर पीपीगंज थाने में एफआइआर दर्ज हुई है। भटहट ब्लाक की ग्राम पंचायत जंगल हरपुर में परफार्मेंस ग्रांट की प्रथम किस्त के रूप में आई धनराशि के फर्जी तरीके से भुगतान के प्रयास और भरोहिया में 22 लाख रुपये के फर्जी भुगतान का मामला शामिल है।
भटहट की बीडीओ कृतिका अवस्थी की तहरीर पर करीब 47 लाख रुपये के फर्जी भुगतान के प्रयास के मामले में गुलरिहा पुलिस ने डीपीआरओ के अलावा जंगल हरपुर की पूर्व ग्राम प्रधान कृति देवी, उनके प्रतिनिधि दिनेश गुप्ता, डीपीआरओ ऑफिस के एडीपीएम आकाश चौरसिया, फर्म संचालिका आशा कार्यकत्री सुशीला देवी, उनके पति एवं सफाई कर्मचारी राजेश गुप्ता, सचिव नागेंद्र देव पांडेय एवं कम्प्यूटर ऑपरेटर मोहम्मद नईम के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है।
दूसरी ओर भरोहिया के खंड विकास अधिकारी आनंद कुमार गुप्ता की तहरीर पर ग्राम सभा तुर्कवलिया की पूर्व प्रधान गंगोत्री देवी एवं सचिव सुधीर गुप्ता के खिलाफ आइपीसी की धारा 419, 420, 467, 409 के तहत मुकदमा दर्ज हुआ है। ग्राम पंचायत में 22 लाख रुपये का स्ट्रीट लाइट लगाने के मद में फर्जी भुगतान करा लिया गया था।
डीपीआरओ ने जांच समिति पर सवाल उठाए
डीपीआरओ हिमांशु शेखर ठाकुर ने अपने ऊपर एफआइआर दर्ज किए जाने को गलत बताया है। उनका कहना है कि इस गांव में उनके प्रयास से ही फर्जी भुगतान रुका था तो वह दोषी कैसे हो सकते हैं। डीपीआरओ ने इस एफआईआर पर सवाल उठाते हुए उच्च अधिकारियों को इस बात की जानकारी दी है। उन्होंने जांच समिति की रिपोर्ट पर भी सवाल खड़े किए हैं।
डीपीआरओ ने रोका था भुगतान
जंगल हरपुर में 47 लाख रुपये से अधिक के भुगतान का प्रयास किया। सचिव नागेंद्र देव पांडेय की सूचना पर मुख्य विकास अधिकारी इंद्रजीत सिंह एवं जिला पंचायत राज अधिकारी हिमांशु शेखर ठाकुर ने लखनऊ बात कर भुगतान होने से रुकवा दिया था। जिले की पांच ग्राम पंचायतों में अनियमितता मिली थी। सतर्कता के कारण ही जंगल हरपुर के सचिव को केवल प्रतिकूल प्रविष्टि मिली थी। चार अन्य ग्राम पंचायतों के सचिव निलंबित हुए थे।
चिलुआताल थानाध्यक्ष ने मांगी तहरीर
जिले के पांच ब्लाकों की पांच ग्राम पंचायतों में परफार्मेंस ग्रांट में अनियमितता की जांच तत्कालीन ज्वाइंट मजिस्ट्रेट अनुराज जैन की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय कमेटी ने की थी। चरगांवा ब्लाक के परमेश्चरपुर गांव में भी 49 लाख रुपये अधिक का फर्जी भुगतान किया था। इस मामले में वहां की बीडीओ ने चिलुआताल थाने में कवरिंग लेटर के साथ जांच आख्या भेजी थी लेकिन वहां के थानाध्यक्ष ने मुकदमा दर्ज करने के बजाए बीडीओ से तहरीर मांगा है। पिपरौली एवं बेलघाट में खंड विकास अधिकारियों की ओर से तहरीर नहीं दी गई है। भटहट की बीडीओ ने जांच समिति की जांच आख्या के साथ कवरिंग लेटर गुलरिहा थाने को भेजा था जिसके आधार पर मुकदमा दर्ज हुआ।
बोले जिम्मेदार
डीपीआरओ पर जिस गांव में अनियमितता के प्रयास के मामले में एफआइआर हुई है, वहां अधिकारियों के प्रयास से भुगतान होने से बचा था। ग्राम पंचायत स्तर पर होने वाली अनियमितताओं में जिला स्तरीय अधिकारी की भूमिका नहीं मिलती। इस एफआईआर के मामले में एसएसपी से खुद बात की है। निष्पक्ष जांच कराई कराएंगे। किसी के साथ अन्याय नहीं होने पाएगा। दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।
विजय किरण आनंद, जिलाधिकारी गोरखपुर
राजपत्रित अधिकारी पर केस मुकदमा दर्ज करने के लिए तय प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। सक्षम अधिकारी के स्तर से मंजूरी नहीं ली गई। इस गांव में सतर्कता के कारण एक भी पैसा नहीं निकल सका था। जहां जिला मुख्यालय से वर्क आईडी जारी होने का आरोप है तो ई-ग्राम स्वराज पोर्टल पर ग्राम पंचायत की कार्य योजना को अपलोड करते ही वर्क आईडी जनरेट हो जाती है। मामला संज्ञान में आते ही तत्काल जरूरी कदम उठाए गए थे।
हिमांशु शेखर ठाकुर, डीपीआरओ, गोरखपुर