हिमाचल प्रदेश में भूस्खलन का कहर एक बार फिर से बरपा है। इस बार सुदूर लाहौल स्पीति जिले में भूस्खलन के चलते चेनाब नदी का बहाव ही रुक गया। यह राज्य की सबसे बड़ी नदी है, जिसे स्थानीय तौर पर चंद्रभागा भी कहा जाता है। इस घटना के सामने आने के बाद तेजी से राहत एवं बचाव कार्य शुरू किया गया और अब तक 2,000 लोगों को इलाके से निकाल लिया गया है। आसपास के कुल 13 गांवों से 2,000 लोगों को बाढ़ के खतरे के चलते निकाला गया है।
हिमाचल सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि लाहौल स्पीति के जसरथ गांव के पास भूस्खलन हुआ और बड़े पैमाने पर मलबा नदी में जा गिरा। इसके चलते नदी का प्रवाह थम गया है। नदी का बहाव रुकने की वजह से इलाके में झील बनने का खतरा पैदा हो गया है और किसी भी तरह के संकट से बचने के लिए लोगों को निकाला जा रहा है।
प्रशासन ने लोगों से की ऊंचे इलाकों में जाने की अपील
जिला प्रशासन ने निचले इलाकों में रहने वाले लोगों से आसपास के ऊंचे क्षेत्रों में जाने की अपील की है। फिलहाल जिला प्रशासन के अलावा एसडीआरएफ की टीम बचाव के काम में जुटी हुई है। नदी का प्रवाह रुकने के चलते जसरथ गांव के पास एक झील सी बन गई है और आसपास की खेती की जमीन को भी बड़ा नुकसान पहुंचा है। इसी झील में पानी लगातार बढ़ रहा है और गांव के ही डूबने का खतरा पैदा हो गया है। यह घटना शुक्रवार को सुबह हुई, जब भूस्खलन के चलते चेनाब नदी का प्रवाह पूरी तरह से रुक गया। जिला प्रशासन ने नदी के बहाव को फिर से शुरू करने के लिए सेना के एक्सपर्ट्स की मांगी है। यदि पानी का बहाव सही समय पर शुरू नहीं हुआ तो फिर इलाके में बड़ा नुकसान हो सकता है।
11 गांवों में नदी का बहाव रुकने से मंडरा रहा खतरा
लाहौल स्पीति के डिप्टी कमिश्नर नीरज कुमार ने कहा कि इलाके से ग्रामीणों को निकालकर सुरक्षित क्षेत्रों में भेजा जा रहा है। उन्होंने कहा कि नदी का बहाव रुकने के चलते कम से कम 11 गांवों पर खतरा मंडरा रहा है। बीते कुछ दिनों में यह हिमाचल प्रदेश में यह भूस्खलन की लगातार तीसरी घटना है। इससे पहले दो घटनाएं किन्नौर जिले में हुई थीं। बुधवार को ही किन्नौर जिले के शिमला-रिकांगपिओ हाईवे पर भीषण भूस्खलन हुआ था, जिसमें एक सरकारी बस समेत कई वाहन फंस गए थे। इस हादसे में 12 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 16 लोग अब भी लापता बताए जा रहे हैं।