कॉमनवेल्थ गेम्स और एशियाई खेल 2018 में खिताब जीतने के बाद ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रचने वाले भाला फेंक के स्टार एथलीट नीरज चोपड़ा का लक्ष्य अब अगले साल अमेरिका में होने वाली वर्ल्ड एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल जीतना है। वर्ल्ड चैम्पियनशिप अमेरिका के इयुगेन में इस साल होनी थी, लेकिन कोविड-19 के कारण टोक्यो ओलंपिक को एक साल के लिए स्थगित किए जाने के बाद इसे 2022 में आयोजित करने का फैसला किया गया। अब इसका आयोजन 15 से 24 जुलाई 2022 के बीच होगा।
चोपड़ा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘मैं एशियाई खेल और कॉमनवेल्थ गेम्स में पहले ही गोल्ड मेडल जीत चुका हूं और अब मेरे पास ओलंपिक का गोल्ड मेडल भी है। इसलिए मेरा अगला लक्ष्य अगले साल वर्ल्ड चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल जीतना है। चोपड़ा ने सोमवार को टोक्यो में भाला फेंक के फाइनल में 87.58 मीटर भाला फेंककर गोल्ड मेडल जीता था। यह भारत का ओलंपिक में एथलेटिक्स में पहला मेडल है। वे ओलंपिक में इंडिविजुअल गोल्ड मेडल जीतने वाले दूसरे भारतीय खिलाड़ी बने।
उन्होंने कहा, ‘वर्ल्ड चैम्पियनशिप बड़ा इवेंट है और कभी-कभी यह ओलंपिक से भी कड़ा होता है। मैं इस ओलंपिक गोल्ड मेडल से ही संतुष्ट नहीं होने वाला हूं। मैं इससे भी बेहतर प्रदर्शन करना चाहूंगा तथा एशियाई खेल, कॉमनवेल्थ गेम्स और ओलंपिक में फिर से गोल्ड मेडल जीतना चाहूंगा। इस 23 साल के सुपरस्टार को इसके अलावा लगता है कि नेशनल खेलों में पांचवें स्थान पर रहने के बावजूद भारतीय एथलेटिक्स महासंघ (एएफआई) का उन्हें नेशनल कैम्प में शामिल करना उनके करियर का टर्निंग प्वाइंट था।
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नेशनल कैम्प से जुड़ने से पहले चोपड़ा पंचकुला के ताऊ देवी लाल स्टेडियम में प्रैक्टिस कर रहे थे। उन्होंने कहा, ‘हम अच्छी प्रैक्टिस कर रहे थे, लेकिन सुविधाएं, उपकरण, खाना वहां (पंचकुला) अच्छे नहीं थे। लेकिन एक बार जब मैं नेशनल कैम्प (एनआईएस पटियाला) से जुड़ा तो सब कुछ बदल गया।’ चोपड़ा ने कहा, ‘मुझे बेहतर सुविधाएं, बेहतर खाना और बेहतर उपकरण नेशनल कैम्प से जुड़ने के बाद ही मिले। सबसे महत्वपूर्ण यह अहसास था कि मैं देश के सर्वश्रेष्ठ भाला फेंक एथलीटों के साथ प्रैक्टिस कर रहा था। यह अलग तरह का अहसास था।’ उन्होंने कहा, ‘इसलिए नेशनल कैम्प से जुड़ने से मेरा करियर बदला और मैं इसके लिए एएफआई का आभार व्यक्त करता हूं। मैंने जो चाहा वह मुझे मिला। मैंने कड़ी मेहनत की जिसकी बदौलत आज मैं यहां हूं।’