भारत छोड़ो आंदोलन की वर्षगांठ पर रविवार को दिल्ली के जंतर-मंतर पर शुरू हुए ‘भारत जोड़ो आंदोलन’ के दौरान केंद्र सरकार से आजादी की 75वीं वर्षगांठ से पहले सभी अंग्रेजी कानूनों खत्म कर नए कानून बनाए जाने की मांग की गई। इस दौरान सैकड़ों की तादाद में उमड़ी भीड़ में शामिल लोगों द्वारा कथित तौर पर आपत्तिजनक सांप्रदायिक नारे भी लगाए गए। प्रदर्शनकारियों ने ‘हिन्दुस्तान में रहना होगा, जय श्रीराम कहना होगा’ और ‘जब मुल्ले काटे जाएंगे, राम-राम चिलाएंगे’ जैसे नारे लगाए। हालांकि, दिल्ली पुलिस ने अब इस संबंध में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
इस कार्यक्रम की अगुवाई सुप्रीम कोर्ट के वकील और पीआईएल मैन के नाम से प्रसिद्ध अश्विनी उपाध्याय ने की थी। अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि अंग्रेजी कानून बहुत घटिया हैं, इसीलिए प्रसिद्धि पाने के लिए मजहबी उन्माद फैलाया जाता है। जब तक घटिया अंग्रेजी कानूनों को बदलकर अच्छे कानून नहीं बनेंगे, तब तक अलगाववाद, कट्टरवाद और मजहबी उन्माद कम नहीं होगा 15 मिनट में हिंदुओं को खत्म करने वाला आज विधानसभा में बैठा है।
दिल्ली पुलिस के अधिकारी ने बताया कि रविवार को दिल्ली में जंतर मंतर के पास “अंग्रेजी कानून हटाओ और एक समान कानून बनाओ” नामक एक कार्यक्रम में कथित रूप से भड़काऊ नारे लगाने के बाद कानून की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।
नई दिल्ली के डीसीपी दीपक यादव ने बताया कि वहां जमा हुए लोगों के पास अनुमति नहीं थी। हमारे संज्ञान में आया है कि कुछ लोगों ने भड़काऊ और आपत्तिजनक नारे लगाए। हमें एक वीडियो भी मिला है। हमने एफआईआर दर्ज कर ली है और हम आगे की जांच कर रहे हैं। आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। इस मामले की जांच चल रही है।
एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने इस नारेबाजी पर आपत्ति जताई है। ओवैसी ने ट्वीट कर कहा, ”पिछले जुम्मे को द्वारका में हज हाउस के विरोध में एक ‘महापंचायत’ बुलाई गई। हस्ब-ए-रिवायत, इस पंचायत में भी मुसलमानों के खिलाफ पुर-तशद्दुद् नारे लगाए गए। जंतर-मंतर मोदी के महल से महज 20 मिनट की दूरी पर है, कल वहां “जब मुल्ले काटे जाएंगे…” जैसे घटिया नारे लगाए गए।”
”पिछले साल मोदी के मंत्री ने “गोली मारो” का नारा लगाया था और उसके तुरंत बाद उत्तर-पूर्व दिल्ली में मुसलमानों का खुले आम नरसंहार हुआ। ऐसी भीड़ और ऐसे नारे देख कर भारत का मुसलमान सुरक्षित कैसे महसूस कर सकता है?”
”आखिर, इन गुंडों की बढ़ती हिम्मत का राज क्या है? इन्हें पता है कि मोदी सरकार इनके साथ खड़ी है। 24 जुलाई को भारत सरकार ने रासुका (NSA) के तहत दिल्ली पुलिस को किसी भी इंसान को हिरासत में लेने का अधिकार दिया था। फिर भी दिल्ली पुलिस चुप चाप तमाशा देख रही है।”
”ऐसे हालात बन चुके हैं कि इंसाफ और कानूनी कार्रवाई की मांग करना भी मजाक बन चुका है। लोकसभा में आज इस पर चर्चा होनी चाहिए, वजीर-ए-दाखला की जवाबदेही होनी चाहिए। मैंने इस मुद्दे पर लोकसभा के रूल्स के मुताबिक स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया है।”
बता दें कि जंतर- मंतर पर शुरू हुए आंदोलन में 1860 में बने इंडियन पीनल कोड, 1861 में बने पुलिस ऐक्ट, 1863 में बने रिलिजियस एंडोमेंट ऐक्ट और 1872 में बने एविडेंस एक्ट सहित सभी 222 अंग्रेजी कानूनों को खत्म करने की मांग की गई। इसके साथ ही भारत में समान शिक्षा, समान चिकित्सा, समान कर संहिता, समान दंड संहिता, समान श्रम संहिता, समान पुलिस संहिता, समान न्यायिक संहिता, समान नागरिक संहिता, समान धर्मस्थल संहिता और समान जनसंख्या संहिता लागू करने की मांग की।
अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि जब तक घटिया 222 अंग्रेजी कानून खत्म नहीं होंगे, तब तक जातिवाद, भाषावाद,क्षेत्रवाद, अलगाववाद कट्टरवाद, मजहबी उन्माद, माओवाद, नक्सलवाद तुष्टीकरण और राजनीति का अपराधीकरण कम नहीं होगा। जब तक घटिया अंग्रेजी कानून खत्म नहीं होंगे तब तक चोरी लूट झपटमारी, घूसखोरी, जमाखोरी, मिलावटखोरी, कालाबाजारी, कमीशनखोरी,मुनाफाखोरी मानव तस्करी, नशा तस्करी, चंदन तस्करी, हवाला कारोबार, कालाधन और बेनामी संपत्ति कम नहीं होगी। जब तक घटिया अंग्रेजी कानून खत्म नहीं होगा तब तक रोहिंग्या, बांग्लादेशी घुसपैठ और साम दाम दंड भेद द्वारा धर्मांतरण समाप्त नहीं होगा।
इस मौके पर वरिष्ठ पुलिस अधिकारी डॉक्टर आनंद कुमार, वरिष्ठ नौकरशाह आर वी एस मणि, लेफ्टिनेंट जनरल विष्णु कांत चतुर्वेदी, सामाजिक कार्यकर्ता भाई प्रीत सिंह और अनिल चौधरी, आध्यात्मिक गुरु स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती, कालका पीठाधीश्वर महंत सुरेंद्र नाथ, स्वामी यतींद्रनंद गिरी और महाभारत में युधिष्ठिर का किरदार निभाने वाले गजेंद्र चौहान कार्यक्रम में उपस्थित थे।