जेल में बंद मुंबई पुलिस के पूर्व अधिकारी सचिन वाझे को कोर्ट से एक और झटका लगा है। मुंबई की एक विशेष अदालत ने उद्योगपति मुकेश अंबानी के आवास के पास विस्फोटक सामग्री वाली एसयूवी मिलने के मामले में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) को आरोपपत्र दाखिल करने के लिए एक महीने का समय दिया और मुख्य आरोपी सचिन वाझे की वह अर्जी खारिज कर दी जो उसने निर्धारित अवधि में आरोपपत्र दाखिल नहीं होने के आधार पर खुद के जमानत का हकदार होने के तौर पर दायर की थी। न्यायाधीश ने कहा कि बर्खास्त पुलिस अधिकारी वाजे की जमानत अर्जी में कोई दम नहीं है और इससे अदालत का समय बर्बाद हुआ है।
अदालत ने गत नौ जून को एनआईए को आरोपपत्र दाखिल करने के लिए और दो महीने का समय दिया था। केंद्रीय एजेंसी ने बाद में एक और विस्तार का अनुरोध करते हुए कहा कि जांच अभी भी चल रही है। सचिन वाझे ने इस आधार पर जमानत का अनुरोध किया था कि जांच एजेंसी निर्धारित समय के भीतर आरोपपत्र दाखिल करने में विफल रही, इसलिए वह रिहा होने का हकदार है।
ठाणे के व्यवसायी मनसुख हिरन की मौत के बाद वाजे को 13 मार्च, 2021 को इस मामले में गिरफ्तार किया गया था। हिरन ने दावा किया था कि 25 फरवरी को अंबानी के दक्षिण मुंबई स्थित आवास ‘एंटीलिया के पास मिली एसयूवी उसके कब्जे से चोरी हो गई थी। सचिन वाझे के अलावा, पूर्व ‘एनकाउंटर स्पेशलिस्ट’ पुलिस अधिकारी प्रदीप शर्मा और कुछ अन्य पूर्व पुलिसकर्मी मामले में आरोपी हैं।
सचिन वाझे ने जमानत का अनुरोध करते हुए पहले के एक फैसले का हवाला देते हुए तर्क दिया कि उसे पहले भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया गया था और बाद में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया गया। इसलिए, एनआईए को 90 दिनों के भीतर आरोपपत्र दाखिल करना चाहिए, जैसा कि आईपीसी के तहत अपराधों के लिए निर्धारित है, न कि 180 दिनों के भीतर जैसा कि यूएपीए के तहत अनुमति है।
सचिन वाझेने कहा कि आरोपपत्र के अभाव में गिरफ्तारी के 91वें दिन वह स्वत: ही जमानत का हकदार हो गया है। हालांकि न्यायाधीश डी ई कोथालिकर ने तर्क को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह एक बिना गुणदोष की अर्जी है और इसकी सुनवाई में बहुमूल्य समय बर्बाद हुआ। अदालत ने कहा कि वह इसके मद्देनजर आरोपी पर कोई जुर्माना नहीं लगा रही कि वह अभी जेल में है। अदालत ने गत जून में भी सचिन वाझे द्वारा दायर इसी तरह की जमानत अर्जी खारिज कर दी थी।