दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष राम निवास गोयल ने शुक्रवार को केंद्र पर जीएनसीटीडी कानून (GNCTD Act) में संशोधन करके सदन की समितियों की शक्तियों को छीनने का आरोप लगाया और कहा कि वे इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे।
गोयल ने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (जीएनसीटीडी) कानून में संशोधन के माध्यम से केंद्र दिल्ली विधानसभा की समितियों की शक्ति में हस्तक्षेप करना चाहता है। इस साल मार्च में संसद में पास संशोधित कानून यह स्पष्ट करता है कि दिल्ली में ”सरकार का अर्थ ”उपराज्यपाल है। कानून दिल्ली सरकार के लिए किसी भी कार्यकारी कार्रवाई से पहले उपराज्यपाल की राय लेना अनिवार्य बनाता है।
गोयल ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि हम इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे। हम जीएनसीटीडी कानून के केवल उस हिस्से को चुनौती देंगे जो विधानसभा समितियों की शक्तियों को छीनने के संबंध में है। हम मामले पर कानूनी राय ले रहे हैं।
उन्होंने कहा कि केंद्र द्वारा पारित जीएनसीटीडी कानून असंवैधानिक है और चार जुलाई 2018 के सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के फैसले का भी उल्लंघन है। गोयल ने कहा कि जिस दिन यह (कानून) पास हुआ वह एक काला दिन था।
गौरतलब है कि अप्रैल महीने में 76 पूर्व नौकरशाहों के एक समूह ने संयुक्त बयान जारी कर कहा था कि दिल्ली में उप-राज्यपाल को और अधिक शक्तियां देने के लिए इसी साल संसद द्वारा पास किए गए जीएनसीटीडी (संशोधन) कानून के प्रावधान न सिर्फ दिल्ली में शासन को पंगु बना देंगे बल्कि इसका देश में संघीय शासन चलाए जाने पर भी गंभीर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। बयान में कहा गया था कि यह कदम दुर्भाग्यपूर्ण है और कानून के लिहाज से भी बुरा है।
दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार (संशोधन) कानून, 2021 निर्वाचित सरकार पर दिल्ली के उप-राज्यपाल को सर्वोच्चता देता है। इस कानून के मुताबिक, अब दिल्ली में “सरकार” का मतलब “उप-राज्यपाल” है। बयान में कहा गया, “कानून की धारा 44 अब कहती है कि कार्यपालिका संबंधी कोई भी कार्रवाई करने से पहले निर्वाचित सरकार को उप-राज्यपाल की पूर्व अनुमति लेनी होगी। यह बात उन मामलों में भी लागू होगी, जहां विधानसभा को कानून बनाने का अधिकार है। यह सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के सीधे विरुद्ध है….।”