बड़ी संख्या में लोगों के शरीर पर कोरोना वायरस के खिलाफ बनी इम्यूनिटी का इन दिनों सेहत पर काफी सकारात्मक असर देखने को मिल रहा है। डॉक्टरों के मुताबिक लोगों के शरीर में बनी इम्यूनिटी की वजह से इन दिनों सामान्य मौसमी संक्रमण का दायरा काफी घट गया है। मौसमी संक्रमण के लिए बेहद संवेदनशील मौसम में भी लोग कम ही बीमार पड़ रहे हैं और लोगों को चिकित्सकों के पास नहीं जाना पड़ रहा है।
अस्पतालों और क्लीनिकों की ओपीडी में मरीजों की संख्या इन दिनों काफी कम है। फिजीशियन डॉ. नितिन बत्रा ने बताया कि अमूमन, इन दिनों में वायरल, मलेरिया बुखार, डायरिया, गेस्ट्रोएंटाइटिस आदि के केस काफी बढ़ जाते हैं। मगर इस बार इनसे पीड़ित मरीजों की संख्या नहीं के बराबर है। आईएमए मुरादाबाद शाखा की सचिव डॉ. प्रीति गुप्ता ने कहा कि हर बार टायफाइड के केस भी इन दिनों बढ़ जाते थे, मगर, इस बार मरीज कम आ रहे हैं।
निश्चित रूप से यह अधिकतर लोगों में कोरोना वायरस के खिलाफ बनी इम्यूनिटी का असर माना जा रहा है।आईएमए मुरादाबाद ब्रांच के अध्यक्ष डॉ.भगतराम राणा ने कहा कि अप्रैल-मई में काफी बड़ी संख्या में लोगों के कोरोना संक्रमण की चपेट में आने के बाद ठीक हो जाने और फिर टीकाकरण का दायरा बढ़ने की वजह से स्वास्थ्य की दृष्टि से यह काफी सकारात्मक परिदृश्य बना है, लेकिन इसे बनाए रखने के लिए कोविड 19 के नियमों का पालन करते रहना जरूरी होगा। वायरस के खिलाफ बनी यह इम्यूनिटी कुछ दिनों के बाद कमजोर पड़ना शुरू हो जाएगी। वायरस के म्यूटेट कर लेने की आशंका के चलते भी सावधानियों में कमी महंगी पड़ सकती है।
अक्तूबर तक का समय ज्यादा संवेदनशील
कोरोना महामारी के साथ ही अन्य मौसमी बीमारियों का प्रकोप शांत रहने के बावजूद चिकित्सक स्वास्थ्य को लेकर एहतियात बरतना जारी रखने की सलाह दे रहे हैं। विश्व आयुर्वेद परिषद के प्रांतीय कार्यकारिणी सदस्य डॉ. संजीव सक्सेना के मुताबिक अगस्त के तीसरे हफ्ते से अक्तूबर तक का समय बीमारियों की दृष्टि से ज्यादा संवेदनशील है। ऐसे में कोरोना भी फिर से हमला बोल सकता है। इन दिनों कफ और सितंबर में पित्त का प्रकोप शुरू होने के मद्देनजर खानपान में विशेष सावधानी बरतना जरूरी है।