दिल्ली हाईकोर्ट ने व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम व ट्विटर जैसे सोशल मीडिया मंचों के उपयोगकर्ताओं की निजता एवं अभिव्यक्ति की आजादी के मौलिक अधिकारों का कथित घोर उल्लंघन करने को लेकर केन्द्र से जवाब मांगा है। इस मामले में नए सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) नियमों को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई है। मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल एवं न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने वकील उदय बेदी की याचिका पर केन्द्र को नोटिस जारी किया है। याचिका में दावा किया गया है कि नए आईटी नियम असंवैधानिक हैं और ये लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के विपरीत हैं। उच्च न्यायालय ने केन्द्र को शपथपत्र दायर करने के लिए समय देते हुए मामले को 13 सितंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।
बेदी ने अपनी याचिका में दलील दी है कि सोशल मीडिया मंचों को किसी शिकायत के आधार पर यह निर्णय लेने का अधिकार नहीं दिया जा सकता कि किस सूचना को हटाया जाना चाहिए। याचिका में कहा गया है कि नए आईटी कानून यह नहीं बताते कि सोशल मीडिया मंच एसएमआई मंच पर पूरा संवाद पढ़े बिना शिकायत के खिलाफ स्वेच्छा से कार्रवाई कैसे करेंगे और सोशल मीडिया मंच के माध्यम से संग्रहीत, प्रकाशित या प्रसारित निजी जानकारी को डिक्रिप्ट (कूट भाषा को सरल भाषा में बदलना) किए बिना किसी संदेश को सबसे पहले भेजने वाले का पता लगाना संभव नहीं है।
याचिका में कहा गया है कि नियम तीन(1)(बी) के अनुरूप नहीं होने वाली जानकारी को हटाने के लिए आईटी कानून के तहत अत्यधिक शक्तियां देकर लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के विरोधी नियमों ने सोशल मीडिया मंचों को अपने उपयोगकर्ताओं पर लगातार नजर रखने की अनुमति दी है, जो निजता के अधिकार का उल्लंघन है। इसमें कहा गया है कि नियमों के तहत, भले ही व्यक्ति नियमों के उल्लंघन के लिए किसी जांच के दायरे में नहीं हो, इसके बावजूद मध्यस्थ को बिना किसी औचित्य के उसका डेटा रखना होगा, जो उपयोगकर्ता के निजता के अधिकार का घोर उल्लंघन है।
बेदी ने अपनी याचिका में कहा कि शिकायत अधिकारी या मुख्य अनुपालन अधिकारी के निर्णय के खिलाफ नियमों के तहत कोई अपीलिय प्रक्रिया मुहैया नहीं कराई गई है। नागरिकों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को प्रतिबंधित करने के व्यापक अधिकार निजी व्यक्तियों के हाथों में सौंप दिए गए हैं, जो आश्चर्यजनक और पूरी तरह अनुचित है।
व्हाट्सएप निजता नीति संबंधी याचिका पर तत्काल सुनवाई जरूरी नहीं
वहीं, एक अन्य फैसले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि व्हाट्सएप की नई निजता नीति को चुनौती देने वाली याचिका पर तत्काल सुनवाई आवश्यक नहीं है, क्योंकि संदेश भेजने वाले इस सोशल मीडिया मंच ने बयान में स्पष्ट किया है कि निजी सूचना संरक्षा विधेयक को अंतिम रूप दिए जाने तक वह फेसबुक को कोई ”डेटा हस्तांतरित नहीं करेगा। अमेरिका की इस कंपनी ने उच्च न्यायालय को बताया कि वह नई निजता नीति को स्वीकार नहीं करने को लेकर फिलहाल किसी का अकाउंट ब्लॉक नहीं करेगा।मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल एवं न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने कहा कि कंपनी के रुख को देखते हुए इस याचिका पर सुनवाई 27 अगस्त को होगी। उच्च न्यायालय ने कहा कि उन्होंने बयान दिया है कि निजी सूचना संरक्षा विधेयक को जब तक अंतिम रूप नहीं दिया जाता है, वे (सूचना का) हस्तांतरण नहीं करेंगे। इस खंडपीठ के समक्ष एक अन्य मामला लंबित है, जिसमें उन्होंने बयान दिया है। यह फिलहाल बहुत आवश्यक नहीं है।
व्हाट्सएप की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पीठ से कहा कि उनके मुव्वकिल के रुख के अनुरुप फिलहाल नई निजता नीति को स्वीकार नहीं करने वाले अकाउंट ब्लॉक नहीं किए जाएंगे। सिब्बल ने कहा कि वह ब्लॉक नहीं करेंगे। याचिकाकर्ता हर्ष गुप्ता की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक सूद ने मुद्दा उठाया कि वर्ष 2021 की नीति को फिलहाल स्थगित भी कर दिया जाए तो 2021 से पहले की नीतियों के आधार पर सूचनाएं हस्तांतरित की जा सकती हैं। सूद ने उच्च न्यायालय से अनुरोध किया कि उन्हें बयान देने दें कि वे सूचना का हस्तांतरण नहीं करेंगे।
दूसरे याचिकाकर्ता चैतन्य रोहिला के वकील मनोहर लाल ने कहा कि उनकी चिंता मंच पर भेजे जाने वाले निजी संदेशों को लेकर नहीं बल्कि फेसबुक के साथ साझा किए जाने वाले ”मेटा डेटा को लेकर है। दो अन्य लोगों के साथ मिलकर व्हाट्सएप की नीति को चुनौती देने वाली वकील मेगन ने भी उपयोक्ताओं की निजता को लेकर सवाल उठाए। पीठ ने कहा कि ठीक है, इसपर विचार किया जा रहा है। बार-बार (व्हाट्सएप को) बयान देने की जरुरत नहीं है।