इंग्लैंड के पूर्व कप्तान केविन पीटरसन ने आईपीएल में खिलाड़ियों की संख्या में इजाफा और इंग्लैंड के व्हाइट बॉल क्रिकेट पर पड़ने वाले इसके प्रभाव पर बात की है। रॉयल चैलेंजर्स बेंगलोर (आरसीबी) सहित पांच आईपीएल टीमों का हिस्सा रह चुके पीटरसन ने इंग्लिश क्रिकेट के बीच आईपीएल को हमेशा सपोर्ट किया है। पीटरसन का मानना है कि इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ईसीबी) ने अपने खिलाड़ियों को इंटरनेशनल मैचों की बजाय आईपीएल मैचों में खेलने की अनुमति दी है। आईपीएल में खिलाड़ी दुनिया के बेस्ट खिलाड़ियों के साथ और उनके खिलाफ खेलते हैं तथा उनसे सीखते हैं। उन्होंने कहा कि इससे उन्हें कुछ साल विश्व कप जीतने में मदद मिली थी। ईसीबी ने व्हाइट बॉल क्रिकेट को और अधिक प्रमोट करने के लिए द हंड्रेड को लॉन्च किया है और पूर्व कप्तान का मानना है कि इसे बहुत पहले ही शुरू कर देना चाहिए था।
डेली मेल से बात करते हुए पीटरसन ने कहा, ‘ सौ प्रतिशत (अगर द हंड्रेड पहले आ गया होता तो इंग्लैंड अधिक सफल होता)। मैं एक ऐसे युग में खेला था जब हम में से केवल चार या पांच ही लोग आईपीएल खेल रहे थे और हम सभी निराश होकर इंग्लैंड की टीमों में बैठकर पूछ रहे थे, ‘हम गेंद को रोकने के लिए क्या कर रहे हैं? हम गेंद को ब्लॉक करने वाले खिलाड़ियों को क्यों चुन रहे हैं?’ अब आपके पास आईपीएल सितारों से भरी इंग्लैंड की एक टीम है जो ब्लॉक करने पर बाहर हो जाती है। यह पूरी तरह से मानसिकता में बदलाव है।’
पीटरसन भी चाहते हैं कि भारतीय खिलाड़ी द हंड्रेड में शामिल हों। हालांकि बीसीसीआई ने अब तक केवल पांच महिला क्रिकेटरों-शैफाली वर्मा, हरमनप्रीत कौर, जेमिमा रोड्रिग्स, स्मृति मंधाना और दीप्ति शर्मा को द हंड्रेड में खेलने के लिए एनओसी दिया है, लेकिन एक्टिव मेंस क्रिकेटरों को किसी भी विदेशी लीग में खेलने की अनुमति नहीं है। पूर्व विस्फोटक बल्लेबाज ने कहा, ‘मेंस भारतीय खिलाड़ियों के खेलने से दर्शक भी ज्यादा आते हैं। वे बहुत अच्छी तरह से सपोर्टेड हैं। राजनीतिक रूप से, अगर दोनों बोर्ड उस स्तर पर हैं और बातचीत हो रही है तो यह इंग्लिश क्रिकेट के लिए बहुत बड़ा तख्तापलट होगा।’