दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार और सीमा सुरक्षा बल के महानिदेशक से एक महिला अधिकारी की याचिका पर जवाब मांगा। महिला अधिकारी ने एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा यौन उत्पीड़न किए जाने के उनके आरोपों में उचित दिशानिर्देश के बाद फिर से आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी) प्रक्रिया शुरू करने का आग्रह किया है।
बहरहाल, हाईकोर्ट ने बीएसएफ द्वारा इस चरण में महिला अधिकारी के खिलाफ शुरू की गई कार्यवाही पर अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया। साथ ही उनकी पोस्टिंग त्रिपुरा से पंजाब करने पर भी रोक लगाने से इनकार कर दिया। महिला चिकित्सा अधिकारी ने अपना ट्रांसफर दिल्ली करने की मांग की है।
जस्टिस राजीव सहाय एंडलॉ और जस्टिस अमित बंसल की बेंच ने सोमवार को नोटिस जारी किए और अधिकारियों से छह हफ्ते के अंदर याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए कहा। बेंच ने बीएसएफ के महानिदेशक से व्यक्तिगत तौर पर मामले की जांच करने और गलती पाए जाने पर आज से तीन हफ्ते के अंदर उपचारात्मक उपाय करने के लिए कहा।
वकील स्वाति जिंदल गर्ग के मार्फत दायर याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता का यौन उत्पीड़न उनके वरिष्ठ अधिकारी ने किया और आईसीसी (आंतरिक शिकायत समिति) नहीं होने से अत्याचार के बारे में शिकायत करने के लिए उनके पास सक्षम प्राधिकार नहीं था, जो विशाखा एवं अन्य बनाम राजस्थान राज्य के दिशानिर्देशों के खिलाफ है। इसके तहत कार्यस्थल पर आईसीसी का गठन अनिवार्य है।
उसने यह भी दावा किया कि उसके कई अवकाश आवेदनों को अनुचित रूप से अस्वीकार कर दिया गया था और परिस्थितियों की गंभीरता यह थी कि उसके निजता और सुरक्षा के अधिकार से भी समझौता किया गया था और उसे तत्काल कोई राहत नहीं दी गई थी। उसने कानून के अनुसार, संबंधित अधिकारियों के खिलाफ आईसीसी की कार्यवाही फिर से शुरू करने और आईसीसी को रद्द करने की मांग की है जो प्रतिवादियों द्वारा “पूर्ण पक्षपातपूर्ण तरीके से” किया गया है, जिसके लिए अधिक अवधि की समाप्ति के बाद भी आज तक कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई है।
याचिकाकर्ता महिला अधिकारी ने यह कहते हुए दिल्ली ट्रांसफर करने की मांग की कि वह अपने बच्चों की देखभाल करना चाहती है क्योंकि उसके सास-ससुर दोनों की हाल ही में मृत्यु हो गई थी और उसका पति अभी भी कोविड-19 से उबर नहीं पाए हैं। उसने कहा कि उसने कानूनी सहायता, मुकदमेबाजी और अपने उत्पीड़न के खिलाफ किए गए अन्य संबंधित खर्चों में भी बड़ी राशि खर्च की है।