- कोविड-19 के कई मरीजों में अचानक शांत हो जाना सा किसी से बात न करना जैसे बदलाव भी आ रहे हैं
- कोरोना का इलाज होने के बाद मरीजों में 3-4 महीने तक शरीर में दर्द, जकड़न, सुस्ती रहती है, इसे लॉन्ग हॉलर्स कहते
कोरोना ने लोगों के दिमाग पर नकारात्मक असर छोड़ा है। दुनिया के कई विशेषज्ञों का मानना है कि संक्रमण खत्म होने के बाद मानसिक रोगों की नई महामारी आ सकती है। हाल ही में इस एक रिसर्च भी हुई है, जिसके परिणाम चौंकाने वाले हैं। नई दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल के डॉ. मोहसिन वली कहते हैं, इटली की एक पत्रिका में सैन रेफेल अस्पताल के एक्सपर्ट ने रिसर्च से जुड़ी कई चौंकाने वाली बातें लिखी हैं।
इटली के एक्सपर्ट के मुताबिक, आने वाले दिनों में 30-32 फीसदी लोगों में डिप्रेशन, 40 फीसदी में बेचैनी और 40 फीसदी लोगों में नींद की कमी हो सकती है। इसके अलावा 20 प्रतिशत लोगों में ऑब्सेशन कम्पल्शन डिसऑर्डर हो सकता है। ऐसे मरीजों की संख्या और बढ़ सकती है। खासतौर पर कोविड होने के दौरान मरीजों में अलग-अलग तरह से ये सब हो रहा है। जो लोग अपने दिमाग को कंट्रोल नहीं कर पा रहे हैं, उनमें ऐसे लक्षण दिख सकते हैं।
ऐसा क्यों हो रहा है
डॉ. मोहसिन वली कहते हैं, कोरोना से ठीक हो रहे लोगों में अगले 3-4 महीने तक शरीर में दर्द, जकड़न और सुस्ती रहती है। इसे लॉन्ग हॉलर्स कहते हैं। जिन लोगों में ऐसा हो रहा है उनका आरएनए टेस्ट कराया जा रहा है। जांच में इसकी पुष्टि भी हो रही है।
कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिनकी मानसिक स्थिति में बदलाव आ रहा है, जैसे अचानक शांत हो जाना, या किसी से बात नहीं करना। कई लोगों में भविष्य को लेकर चिंता, तनाव से भी ऐसी स्थिति आ रही है।
मास्क पर किया अनूठा प्रयोग
डॉ. मोहसिन वली कहते हैं, मास्क न लगाने के लिए लोग अलग-अलग तरह के तर्क देते हैं। ऐसे लोगों को समझाने के लिए डॉ. वली ने खुद पर एक रिसर्च किया। उन्होंने बताया, मैंने तीन दिन तक डबल मास्क लगाया, एक सर्जिकल और एन95 मास्क। दो दिन ट्रिपल लेयर मास्क लगा कर अस्पताल गया और पूरे दिन लगाए रखा, लेकिन मुझे कोई परेशानी नहीं हुई। इससे साफ है कि जो लोग तर्क दे रहे हैं, वो वास्तव में मास्क लगाना ही नहीं चाहते हैं।
वैक्सीन अप्रूव होने के बाद उत्पादन बड़ी चुनौती
उन्होंने कहा, भारत में केस बढ़ रहे हैं, लेकिन आईसीएमआर और स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक आबादी को देखते हुए भारत की स्थिति को खराब नहीं कह सकते। सबसे अच्छी बात है, अभी भी जितने केस आए हैं उस हिसाब से मृत्यु दर काफी कम है। भारत सुरक्षित रहे और यहां स्थिति कंट्रोल में रहे, यह बात दूसरे देश वाले भी चाहते हैं क्योंकि वैक्सीन आने पर उसके प्रोडक्शन की बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी भारत को निभानी है।