केंद्र के तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर मॉनसून सत्र के दौरान संसद के बाहर किसानों द्वारा प्रस्तावित विरोध प्रदर्शन को टालने के लिए दिल्ली पुलिस की रविवार को किसान संगठनों को मनाने की कोशिश नाकाम रही। इसके लिए दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने रविवार को सिंघु सीमा के पास किसानों के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक कर संसद का घेराव टालने पर काफी देर तक चर्चा की। बैठक के दौरान पुलिस की तरफ से किसानों को दिल्ली में प्रदर्शन के लिए वैकल्पिक स्थान उपलब्ध कराने की पेशकश की गई, जिसे किसान नेताओं ने ठुकरा दिया।
दिल्ली पुलिस के साथ मिलने पहुंचे प्रतिनिधिमंडल में योगेंद्र यादव, दर्शन पाल सिंह, शिव कुमार कक्का समेत कई बड़े किसान नेता शामिल रहे। गणतंत्र दिवस की घटना के बाद किसानों के संसद घेराव के ऐलान ने सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है।
बैठक के बाद किसान नेता शिव कुमार कक्का ने कहा कि हमने दिल्ली पुलिस को बताया है कि सिंघु बॉर्डर से हर दिन 200 लोग संसद तक मार्च करेंगे। प्रत्येक व्यक्ति के पास पहचान का बैज होगा। हम सरकार को प्रदर्शनकारियों की सूची सौंपेंगे। पुलिस ने हमसे प्रदर्शनकारियों की संख्या कम करने को कहा, जिससे हमने मना कर दिया।
किसान नेता दर्शन पाल ने कहा कि आज पुलिस से बात हुई। हमने पुलिस से कहा है कि 22 जुलाई को 200 लोग संसद जाएंगे और वहां किसान संसद चलाएंगे। हमने संसद के घेराव की बात कभी नहीं कही। हमें उम्मीद है कि हमें अनुमति मिलेगी।
वहीं, दिल्ली पुलिस ने सोमवार को संसद के पास किसानों के विरोध के मद्देनजर दिल्ली मेट्रो को सात मेट्रो स्टेशनों पर अतिरिक्त निगरानी रखने और जरूरत पड़ने पर उन्हें बंद करने के लिए लिखा है।
इससे पहले भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि आज दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के साथ बैठक है। बैठक में 22 जुलाई के कार्यक्रम की चर्चा होगी। 22 जुलाई को हमारे 200 लोग संसद जाएंगे। प्रदर्शनकारियों द्वारा बताए जाने वाले मार्गों पर चर्चा की जानी चाहिए। हमने विपक्ष के लोगों से भी कहा है कि वो अपनी बात सदन में उठाएं।
गौरतलब है कि संयुक्त किसान मोर्चा ने ऐलान किया है कि मॉनसून सत्र के दौरान प्रतिदिन करीब 200 किसान संसद के बाहर धरना-प्रदर्शन करेंगे। हालांकि, किसान नेताओं ने यह साफ नहीं किया है कि उन्हें संसद के बाहर प्रदर्शन करने की इजाजत दी गई है या नहीं?
दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शनिवार को कहा कि किसानों के प्रस्तावित विरोध-प्रदर्शन से पहले रविवार को किसानों के प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक होगी। उन्होंने कहा कि बैठक के दौरान किसानों को दिल्ली में प्रदर्शन के लिए वैकल्पिक स्थान उपलब्ध कराने की पेशकश की जाएगी।
माना जा रहा है कि संसद का मॉनसून सत्र इस बार सदन से सड़क तक हंगामेदार रहने के आसार हैं। सदन में जहां विपक्ष कोविड-19, महंगाई और तेल के दाम में वृद्धि को लेकर सरकार को घेरने की कोशिश करेगा, वहीं संसद के बाहर नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों की नाराजगी झेलनी पड़ेगी। किसानों ने 22 जुलाई से मॉनसून सत्र के अंत तक संसद के बाहर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान किया है।