आबादी नियंत्रण के गर्माते मुद्दे के साथ ही अब उत्तर प्रदेश में सियासी दल खुद को मजबूत करने में जुटने जा रहे हैं। विधानसभा चुनाव की जंग जीतने की इस कोशिश के चलते आने वाले दिनों में यूपी में राजनीतिक सरगर्मी काफी बढ़ने जा रही है। जिताऊ मुद्दे तलाशने, लुभावने वायदे करने, विरोधियों को घेरने व गठजोड़ के लिए मजबूत सहयोगी तलाशने की मुहिम भी तेज होती जा रही है।
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की जीत से उत्साहित भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अब प्रदेश कार्यसमिति के जरिए आगे के चुनावी मुद्दे व संगठन को धार देने की रणनीति बनाने जा रही है। विधानसभा चुनाव में अब ज्यादा दूर नहीं है। ऐसे में सत्ताधारी दल के साथ साथ विपक्षी दल खासे सक्रिय हो गए हैं। मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) पंचायत चुनाव में भाजपा के मुकाबले शिकस्त खाने के बाद अब सड़क पर उतरने की तैयारी में है।सपा कई सवालों पर सरकार को घेरने की तैयारी में हैं। इसके लिए तहसील स्तर पर प्रदेश भर में प्रदर्शन करेगी। यही नहीं पार्टी संगठन को भी चुस्त-दुरस्त किया जा रहा है। उधर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी 16 जुलाई को पार्टी को उत्साहित करने लखनऊ आ रही हैं। बसपा ने भी विधानसभा चुनाव के लिए टिकट वितरण के लिए खास रणनीति अभी से बना रही है।
चुनावी जंग में छोटे दल भी पीछे नहीं है। पुराने व नए सभी छोटे दल चुनावी गठजोड़ की संभावनाएं तलाशने के लिए भी खासी मशक्कत कर रहे हैं। दिल्ली में सरकार चला रही आम आदमी पार्टी (आप) यहां काफी आक्रामक तेवर दिखा रही है। ऐसे ही तेवर ओम प्रकाश राजभर की सुभासपा के भी दिख रहे हैं। शिवपाल यादव की प्रसपा, असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम भी खासे सक्रिय हैं।