कोरोना महामारी के बीच अब देश में जीका वायरस ने दस्तक दे दी है। वैज्ञानिकों का दावा है कि जीका वायरस के दुष्प्रभाव से नवजात का मस्तिष्क छोटा हो जाता है। ज़ीका वायरस शिशुओं के विकसित होते मस्तिष्क में एक ख़ास तरह की कोशिकाओं को नष्ट कर देता है। सिर छोटा होने की वजह माइक्रोसेफली है। ये एक जन्मजात विकृति है। इससे प्रभावित बच्चे का जन्म आकार में छोटे और अविकसित दिमाग के साथ होता है। ये गर्भावस्था के दौरान वायरस के संक्रमण से होता है।
मच्छर के काटने से फैलने वाली बीमारी
जीका वायरस फ्लाविविरिडए वायरस फैमिली से है। यह मच्छर के काटने से फैलने वाली बीमारी है। जीका वायरस के लक्षण चिकनगुनिया की तरह ही होते हैं। दिन में एडीज मच्छर के समय काटने से यह रोग फैलता हैं। आम तौर पर जीका वायरस से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं नहीं होती हैं। बताया जा रहा है कि रोगी यदि आराम करे, तो रोग पूरी तरह से ठीक हो सकता है। हालांकि, यदि वायरस गर्भवती महिलाओं को संक्रमित करता है, तो इसका परिणाम जन्म दोष हो सकता है।
सबसे पहले बंदरों में मिला था
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, जीका वायरस एक मच्छर जनित फ्लेविवायरस है। जिसे पहली बार 1947 में युगांडा में बंदरों में पहचाना गया था। इसे बाद में 1952 में युगांडा और संयुक्त गणराज्य तंजानिया में मनुष्यों में पहचाना गया। जीका वायरस का प्रकोप अफ्रीका, अमेरिका, एशिया और प्रशांत में दर्ज किया गया है।
क्या हैं लक्षण
– खास बात यह है कि जीका वायरस से संक्रमित अधिकांश लोगों में लक्षण विकसित नहीं होते हैं।
– कुछ मरीजों में बुखार के अलावा शरीर पर लाल चकत्ते, दाने, आंखों का लाल होना, मांसपेशियों व जोड़ों में दर्द, अस्वस्थता एवं सिरदर्द जैसे लक्ष्ण दिखाई देते हैं।
– आमतौर पर शख्स 2 से 7 दिनों तक प्रभावित रहता है।
– खासकर गर्भावस्था में महिलाएं इससे ज्यादा संक्रमित हो सकती हैं।
– इससे प्रभावित बच्चे का जन्म आकार में छोटे और अविकसित दिमाग के साथ होता है।
केरल में जीका के 18 मामलों की पुष्टि
केरल में अब तक जीका वायरस के 18 मामलों की पुष्टि हुई है। इनमें 22 महीने का एक बच्चा भी संक्रमित है। जीका वायरस का पहला मामला तिरुवनंतपुरम में आया था, जहां एक गर्भवती महिला चपेट में आई। गर्भवती महिला की हालत स्थिर है। उसने 7 जुलाई को बच्चे को जन्म दिया है। इसके बाद से लगातार मामले आ रहे हैं। राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने बताया कि सरकार ने तिरुवनंतपुरम, त्रिशूर और कोझिकोड चिकित्सा महाविद्यालय में जीका वायरस से संक्रमण की जांच करने की व्यवस्था की है। इसके साथ ही राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी) की अलप्पुझा इकाई में भी यह सुविधा है।
कर्नाटक और तमिलनाडु ने सतर्कता बढ़ाई
जीका वायरस के खतरे को देखते हुए कर्नाटक और तमिलनाडु ने अपने यहां सख्ती बढ़ा दी है। केरल से लगती सीमाओं पर कड़ी जांच के साथ ही ई-पास अनिवार्य कर दिया गया है। कर्नाटक और तमिलनाडु ने केरल से लगने वाली अपनी सीमा पर जांच तेज कर दी है। तमिलनाडु में वालयार और मीनाक्षीपुरम में 14 रणनीतिक बिंदुओं और जांच चौकियों पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है। वाहनों की जांच तेज कर दी गई है। केरल से तमिलनाडु जाने वाले लोगों के लिए ई-पास अनिवार्य कर दिया गया है। कर्नाटक भी केरल से आने वाले पर्यटकों की जांच करवा रहा है।