शिवसेना ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि दिवंगत नेता गोपीनाथ मुंडे की बेटी और दो बार की सांसद प्रीतम मुंडे की बजाय भाजपा के राज्यसभा सदस्य भागवत कराड को केंद्रीय मंत्रिपरिषद में शामिल करना उनकी बहन पंकजा मुंडे के राजनीतिक करियर को खत्म करने की साजिश है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को केंद्रीय मंत्रिपरिषद में बड़ा फेरबदल किया और इसके तहत कराड ने वित्त राज्यमंत्री का प्रभार संभाला। महाराष्ट्र से ताल्लुक रखने वाले पेशे से डॉक्टर कराड (64) का राज्यसभा का यह पहला कार्यकाल है।
ऐसी अटकलें थीं कि प्रीतम मुंडे को नए मंत्रिपरिषद में शामिल किया जाएगा लेकिन ऐसा नहीं किया गया। शिवसेना ने पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ में लिखे एक संपादकीय में कहा, ”भागवत कराड को राज्यमंत्री बनाया गया। यह पंकजा मुंडे के राजनीतिक जीवन को खत्म करने की साजिश है। भाजपा नेता दिवंगत गोपीनाथ मुंडे की छत्रछाया में कराड बढ़े लेकिन प्रीतम मुंडे का विचार न करते हुए कराड को राज्यमंत्री बनाया गया। वंजारा समाज में फूट डालने के लिए और पंकजा मुंडे को सबक सिखाने के लिए क्या यह किया गया?”
उसने कहा कि भारती पवार और कपिल पाटिल को भी मंत्रिपरिषद में शामिल करना निष्ठावान भाजपाइयों के जख्मों पर नमक छिड़कने की तरह है। उसने कहा, ”पवार और पाटिल दोनों हाल में राकांपा छोड़कर भाजपा में शामिल हुए।” महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ पार्टी ने कहा कि महाराष्ट्र के नेता नारायण राणे को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिली, यह अच्छा हुआ। वह भी मूलरूप से भाजपा के नहीं हैं। शिवसेना, कांग्रेस और अब भाजपा ऐसी उनकी मनोरंजक यात्रा रही है।
शिवसेना ने कहा कि राणे को सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय दिया गया है। उन्हें इस क्षेत्र की वर्तमान स्थिति को देखते हुए आगे कदम बढ़ाने होंगे। देश के उद्योग, व्यापार मटियामेट होने की कगार पर हैं। छोटे उद्योगों का तो जीवित रहना मुश्किल हो गया है। ऐसे समय में राणे क्या करेंगे, यह देखना होगा। संपादकीय में कहा गया है, ”केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार पर सभी का ध्यान लगा हुआ था। संसद के मानसून सत्र से पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ है। गिरी हुई अर्थव्यवस्था, कोरोना महामारी के कारण पैदा स्वास्थ्य संबंधी अराजकता, महंगाई, बेरोजगारी की समस्या के ‘समाधान के रूप में मंत्रिमंडल में फेरबदल का रामबाण चलाया गया।”
पार्टी ने कहा कि राजनाथ सिंह और मुख्तार अब्बास नकवी के अलावा सभी अन्य मंत्री नए हैं। इनमें से ज्यादातर भाजपा या संघ परिवार के नहीं है। नए मंत्रिमंडल में भाजपा या राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का कोई तत्व नहीं है। उसने कहा कि मंत्रिमंडल विस्तार को ‘मेगा सर्जरी की उपमा दी गई है। अगर यह वाकई में सर्जरी होती तो वित्त मंत्री और विदेश मंत्री को पहले ही हटा दिया गया होता। देश की अर्थव्यवस्था और विदेश नीति की जो दुर्दशा हुई है, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। वरिष्ठ मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और रविशंकर प्रसाद को मंत्रिमंडल से हटाना उनके लिए धक्का है। हम प्रार्थना करते हैं कि उन्हें इस धक्के से संभलने की शक्ति मिले।
शिवसेना ने कहा कि पहले के मंत्रिपरिषद में रमेश पोखरियाल को जब शिक्षा विभाग दिया गया तो पूरी शिक्षा व्यवस्था सिसकियां भरने लगी थी। जो विभाग पी.वी. नरसिंह राव, अर्जुन सिंह, मुरली मनोहर जोशी जैसे जानकारों ने संभाले थे, उसे पोखरियाल को देते हुए इन बातों को ध्यान में रखना चाहिए था। पार्टी ने कहा कि अब उनकी जगह धर्मेंद्र प्रधान को लाया गया है जिनके कार्यकाल में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में हुई बेतहाशा वृद्धि ने लोगों के पसीने छुड़ा दिए। पेट्रोल तो 100 रुपये के पार चला गया। अब यह देखना होगा कि वह शिक्षा क्षेत्र में क्या करते हैं। शिवसेना ने कहा कि ऐसा आरोप लगाया जा रहा है कि नया सहकारिता मंत्रालय बनाकर केंद्र राज्यों के अधिकारों का अतिक्रमण करने की कोशिश कर रहा है। ऐसा नहीं होना चाहिए और संघीय व्यवस्था पर इसका असर नहीं होना चाहिए।