अब इस बात का भी पता लगाया जा सकेगा कि कोरोना रोधी टीका किस व्यक्ति में कितना असरदार होगा। कोविशील्ड टीका विकसित करने वाले ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने ऐसे बायोमार्कर की पहचान की है जिसकी मदद से आसानी से अनुमान लगाया जा सकेगा कि कोई टीका उसे लगवाने वाले व्यक्ति को सुरक्षा प्रदान करेगा या नहीं। यह शोध द नेचर जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
बायोमार्कर शरीर में पाए जाने वाले परीक्षण योग्य उन तत्वों, अणुओं और गुणों को कहते हैं जिनके जरिये जैविक दशा का पता लगाया जा सकता है। यह पहला मामला है जब वैज्ञानिकों की टीम ने एक ऐसे रक्त मार्कर की पहचान की है, जिससे नई और अधिक कारगर वैक्सीन के विकास का मार्ग सुगम होगा।
सुरक्षा सहसंबंध की पहचान :
शोध टीम ने परीक्षण में भाग लेने वाले लोगों की प्रतिरोधक प्रतिक्रिया के आधार पर एक ‘सुरक्षा के सहसंबंध’ की पहचान की है। मैसाचुसेट्स के बोस्टन स्थित में बेथ इजरायल डेकोनेस मेडिकल सेंटर के निदेशक डैन बारूच कहते हैं-टीकों के लिहाज से सहसंबंध बड़े काम की चीज है, यदि कोई विश्वसनीय सहसंबंध है, तो इसका उपयोग नैदानिक परीक्षणों में निर्णय लेने के लिए किया जा सकता है, यह भी फैसला कर सकते हैं कि कौन से और किस प्रकार के टीके के काम करने की संभावना अधिक है।
टीकाकरण के बाद तुलना:
‘सुरक्षा के सहसंबंध’ आमतौर पर परीक्षण में शामिल प्रतिभागियों की प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं की तुलना करके निर्धारित किए जाते हैं। इसमें टीका लगवा चुके कोरोना वायरस से सुरक्षित लोगों की तुलना टीका लगवाने के बावजूद कोरोना संक्रमित हुए लोगों से की जाती है।
इंफ्लुएंजा वैक्सीन से प्रेरित :
शोधकर्ताओं ने पाया कि इंफ्लुएंजा वैक्सीन को आम तौर पर इस आधार पर परखा जाता है कि वे कुछ लोगों में वायरल प्रोटीन के खिलाफ मजबूत और पर्याप्त संख्या में एंटीबॉडी उत्पन्न कर रही हैं या नहीं। वैज्ञानिकों ने उम्मीद जताई है कि कोरोना रोधी वैक्सीन को भी इसी आधार पर परखा जा सकता है।
अच्छे टीके की कसौटी एंटीबॉडी:
शोध रिपोर्ट के मुताबिक वायरस के खिलाफ लड़ने वाली एंटीबॉडी का उत्पन्न होना किसी वैक्सीन की सफलता का सबसे अच्छा संकेतक है। यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के एक वैक्सीनोलॉजिस्ट डेविड गोल्डब्लैट कहते हैं-हम एक एंटीबॉडी आधारित निदान चाहते हैं, जो सुरक्षा के लिहाज से एक विश्वसनीय पथ प्रदर्शक है।
फाइजर-मॉडर्ना का टीका अधिक प्रभावी:
शोध रिपोर्ट के मुताबिक फाइजर और मॉडर्ना का कोरोना रोधी टीका बहुत अधिक संख्या में एंटीबॉडी उत्पन्न करते हैं। अन्य टीकों के मुकाबले ये टीके ज्यादा प्रभावी हैं। लेकिन अध्ययन में यह भी साफ किया गया कि कोई भी टीका वायरस के खिलाफ शत प्रतिशत कारगर नहीं है।