एक शाब्दिक तथा पौराणिक मान्यता का अध्ययन करे तो योग एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है। जिसमें शरीर, मन और आत्मा को एक साथ लाने का काम अर्थात योग होता है। यह शब्द – प्रक्रिया और धारणा – हिन्दू धर्म,जैन धर्म और बौद्ध धर्म में ध्यान प्रक्रिया से सम्बन्धित है। योग शब्द भारत से बौद्ध धर्म के साथ चीन, जापान, तिब्बत, दक्षिण पूर्व एशिया और श्री लंका में भी फैल गया है और इस समय सारे सभ्य जगत् में लोग इससे परिचित हैं।
हालांकि प्रसिद्धि के बाद पहली बार 11 दिसम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने प्रत्येक वर्ष 21 जून को विश्व योग दिवस के रूप में मान्यता दी है। ऐसे में परिभाषा ऐसी होनी चाहिए जो अव्याप्ति और अतिव्याप्ति दोषों से मुक्त हो, योग शब्द के वाच्यार्थ का ऐसा लक्षण बतला सके जो प्रत्येक प्रसंग के लिये उपयुक्त हो और योग के सिवाय किसी अन्य वस्तु के लिये उपयुक्त न हो। भगवद्गीता प्रतिष्ठित ग्रंथ माना जाता है। उसमें योग शब्द का कई बार प्रयोग हुआ है, कभी अकेले और कभी सविशेषण, जैसे बुद्धियोग, सन्यासयोग, कर्मयोग।
वेदोत्तर काल में भक्तियोग और हठयोग नाम भी प्रचलित हो गए हैं। परंतु आज बात जब आमतौर पर योग की आती है तो कुछ एक हस्तियां ही शामिल है वर्ष 2020 में योग का अर्थ स्वामी रामदेव और बॉलीवुड अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी कुंद्रा ही है। वक्त के साथ हमारे पौराणिक मान्यताओं के अर्थ बदलने लगे है। हम आज भी वही गौरवशाली इतिहास वाले भारत में है, पर शायद हमारा इतिहास कुछ धूमिल सा हो रहा है। यूं तो देखा जाए तो भारत एक विश्वगुरु है।
योग से रोगों का नाश होता है। ये हमनें ही विश्व को सिखाया है। रामायण जो कि हमारा महाकाव्य है उसके एक पसंग में श्री हनुमान जब समुन्द्र पार करते तो जामवंत उन्हें उनकी भूली हुई शक्तियां याद दिलाते है। ठीक उसी प्रकार आज एक बार फिर हमें मतलब (भारतवर्ष) को उसकी शक्तियों को याद दिलाना चाहिए। जिससे हम एक बार फिर अपने इतिहास का लोहा दुनिया से मनवा पाये। योग एक ऐसी जड़ीबूटी है, जिससे हम निरोगी काया प्राप्त कर सकते। सरल भाषा मे कहे तो “भौतिक शरीर का मानसिक शरीर से मिलन ही योग कहलाता है।” अतः मन शरीर व आत्म की शुद्धि स्वास्थ्य व स्फूर्ति के लिये योग एक अनमोल उपहार है।