कांग्रेस में नेता प्रतिपक्ष को लेकर जबरदस्त माथापच्ची चल रही है। दो दिन से विधायक दल की बैठक चल रही है, लेकिन कुछ नतीजा निकल ही नहीं पा रहा है। अभी तक सर्वसम्मति से विधायक दल के नेता का नाम फाइनल नहीं हो पा रहा है। नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश के निधन से खाली हुए नेता प्रतिपक्ष के पद पर चयन कांग्रेस के लिए आसान साबित नहीं हो रहा है। कांग्रेस के दस विधायकों में ही एक राय नहीं बन पा रही है। दो दिन से नाम फाइनल करने को लेकर जद्दोजहद चल रही है, लेकिन तय कुछ नहीं हो पा रहा है। कभी सुर्खियों में नेता प्रतिपक्ष के लिए कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह का नाम सामने आ रहा है। कभी उप नेता प्रतिपक्ष करन महरा से लेकर विधायक व पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल का नाम माना जा रहा है।
एक धड़ा ममता राकेश को भी नेता प्रतिपक्ष बनाने को लेकर दबाव बनाए हुए हैं। नेता प्रतिपक्ष में प्रीतम सिंह का नाम आगे कर प्रदेश अध्यक्ष में बदलाव का भी सियासी दांव हरीश गुट चल रहा है। इससे पहले से ही कमजोर हुए प्रीतम गुट को पूरी तरह हाशिए पर डालने की भी तैयारी लोग मान रहे हैं। विधानसभा चुनाव में प्रदेश अध्यक्ष की भूमिका बेहद अहम हो जाती है। जबकि नेता प्रतिपक्ष एक से दो विधानसभा सत्र में अब पार्टी की कमान संभालने की स्थिति में रहेंगे। ऐसे में प्रीतम सिंह को प्रदेश अध्यक्ष से हटा कर नेता प्रतिपक्ष बनाया जाना, प्रीतम गुट के लिए एक बड़ा झटका होगा।
गुटबाजी आई खुलकर सामने
दो दिन से दिल्ली में नेता प्रतिपक्ष के चयन को लेकर चल रही माथा पच्ची से साफ हो गया है कि कांग्रेस में सब कुछ सामान्य नहीं है। विधायक भले ही दस हो, लेकिन गुटबाजी जमकर है। इसी गुटबाजी के चलते सर्वसम्मति से नाम फाइनल नहीं हो पा रहा है। इसके लिए दो दिन का समय खपा दिया गया। विधायकों को उत्तराखंड से दिल्ली बुला लिया गया। प्रीतम और हरीश गुट एक दूसरे को सियासी मात देने पर तुले हुए हैं। इसी सियासी शह मात के खेल के कारण नेता प्रतिपक्ष का नाम कहीं अटक कर रह गया है। हर गुट इस मौके को पार्टी पर अपनी पकड़ के रूप में दिखाने पर तुला है। इसी सियासी ताकत दिखाने के चक्कर में गुटों में बंटी कांग्रेस में नेता प्रतिपक्ष का नाम तय नहीं हो पा रहा है।