कोरोना ने जहाँ विश्व मानव के विकास की उद्दण्डता पर वार किया है । वहीं कोरोना ने मानव जाति को विश्वास दिलाया है कि अगर प्रकृति से छेड़छाड़ की तो आएगी प्राकृतिक , दैवीय आपदाएँ जिसका परिणाम हाल ही में सारी दुनिया ने अंफाम , निसर्ग , भूकंप , टिड्डी दल , कोरोना आदि को हाल ही में दुनिया ने देखा है ।
बेरहम मानव ने खुद के भौतिक स्वार्थ के लिए अमानवीयता से प्रकृति को प्रदूषित कर डाला , जिसके दुष्परिणाम सारी दुनिया भोग रही है । कोरोना के वायरस से ज्यादा खतरनाक रक्तबीज बना मानव वायरस है ।
चीन ने प्राकृतिक संपदा की दुनिया की सबसे ऊँची चोटी माउंट एवरेस्ट को भी नहीं छोड़ा । 5 जी नेटवर्क स्टेशन बना के पड़ोसी देशों की जासूसी कर रहा है । चीन ने वुहान से कोरोना वायरस सारी दुनिया में फैलाकर अपनी विस्तारवादी साम्राज्यवाद की सोच को दुनिया को जता दिया है , कोरोना महामारी से मौतों का सिलसिला रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है ।
ऐसे महासंकट के कोरोना काल के लॉककडाउन काल में विश्व मानव को अपने घर में कैद रहना पड़ा ।
मानव की गैरहाजिरी से जल – थल – नभ खिलखिला रहा है । मानव ने प्रगति के चाबुक से हमें घायल कर दिया था ।
ऐसी विषम परिस्थिति में प्रकृति ने भी अपना अद्भुत इतिहास खुद ही रच दिया ।रास्तों में स्वागत करते नयनाभिराम हरे- भरे पेड़ मानव के मनमानी के धुआँ छोड़ते वाहनों के दंश कथा सुनाते हैं । तीन महीने के लॉकडाउन में प्रदूषित प्रकृति ने अपनी कार्यपद्धति से खुद को संभाल कर जीर्णोद्धार किया है।
हरियाली ने पुनः अपना खोया अस्तित्व पाया है ।
हमें इसके सुखद परिणाम मिले हैं । बाई , नोकरानी पर आश्रित व्यक्ति अपने कामों के लिए आत्मनिर्भर हुआ । खुद से ही घर के सारे काम करना जैसे बर्तन मांजना , साफ – सफाई आदि करना ।पूरा देश आपदा की घड़ी में एकजुट हुआ है ।
इटली का वेनिस की प्रदूषित समुद्री नमकीन लहरें लॉकडाउन काल में खुद से ही स्वच्छ पारदर्शी हो के उछाले मार – मार के खुशी जाहिर कर रही है । मानव की अनुपस्थिती से हम साफ – सुथरी , पारदर्शी बन गयी हैं ।
प्रदूषित नहरें , नदियाँ जैसे गंगा , यमुना करोड़ो रुपये खर्च करके भी स्वच्छ नहीं ही सकीं ,वे नदियाँ खुद की कार्य पद्धति से शुद्ध , स्वच्छ हुई हैं ।पंजाब , सहारनपुर से हिमालय की रेंज की पर्वत श्रंखलाओं का दिखायी देना ।
उड़ीसा के तटों पर लुप्त लाखों कछुओं का दिखाई देना , मुम्बई , महाराष्ट्र के अरब सागर में डॉल्फिन की अठखेलियाँ करना और ऋषिकेश की स्वच्छ साफ गंगा में मछलियों का दिखायी देना और वायुप्रदूषण का कम होना , ओजोन परत का सूराख का कम होना आदि ये उदाहरण प्रकृति के पुनर्जीवित होने को दर्शाते हैं ,प्रकृति अपने शुद्ध स्वरूप में खुद को हील किया । लॉकडाउन काल में प्रकृति ने मानव को रास्ता दिखाया है कि प्रकृति को छेड़छाड़ न करके प्रकृति को नार्मल ही बनाए रखे । डिजिटल प्रक्रिया को बढ़ावा मिला है । ऑन लाइन शॉपिंग , ऑनलाइन शिक्षा पद्धति , ऑनलाइन काव्यगोष्ठी , वेबनार , वीडियो कान्फ्रेंसिंग , वीडियो चैट, डिजिटल रैलियों। यानी वर्चुअल रैली से जनसंवाद हो रहे हैं आदि डिजिटल भारत की मिसाल हैं । यूँ कह सकती हूँ कि डिजिटल को मजबूती मिली है । दूरदर्शन पर रामायण , महाभारत को दिखाके नयी पीढ़ी को भारतीय संस्कृति , मूल्यों से परिचित कराया ।
आज 5 जून को अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण दिवस पर मानव जाति को जागरूक होना हो के संकल्प लेना होगा कि विश्व को 2050 तक कार्बन न्यूट्रल बनाना होगा ।
ग्रीन गैस उत्सर्जन से वायुमण्डल में बदलाव आया है तीस प्रतिशत कार्बनडाइआक्साइड की गिरावट आयी है ।
1972 में पहली बार संयुक्त राष्ट्र संघ ने पर्यावरण दिवस मनाया। हमारा देश में पर्यावरण मंत्रालय वर्चुअलतौर पर पर्यावरण दिवस मना रहा है ।
हम सब अपने ग्रह धरती को इकोलॉजी संकट से बचाएँ।
हर जन जहाँ भी स्थान मिले , वहाँ कम से कम 2 पौध जरूर लगाए ।
यह धरती हर प्राणी की है । हर प्राणी को जीने का अधिकार है । मानव को प्रकृति से सीख लेनी होगी कि हम प्रकृति का सम्मान करें । उसे पूजे । जैव विविधता के साथ खिलवाड़ नहीं करें ।प्रकृति के साथ संतुलन बनाके चले । तभी प्रकृति सुरक्षित रहेगी ।
डॉ मंजु गुप्ता
वाशी, नवी मुंबई