नोएडा में अग्निशमन विभाग में एनओसी को लेकर बड़ा खेल चल रहा है। इसकी पुष्टि पुलिस के बाद एंटी करप्शन की जांच में भी हुई है। खुलासा हुआ है कि एनओसी के लिए होने वाले आवेदनों में बड़ा खेल होता था। उन्हें 55 एनओसी ऐसी मिली है, जिनके लिए एक ही मेल आईडी से आवेदन किए गये थे। यह मेल आईडी अग्निशमन विभाग में तैनात एक अधिकारी के बेटे के नाम पर बनाई गई थी।
एनओसी जारी करने के लिए एफएसओ कुलदीप कुमार द्वारा फायर वेंडर से 80 हजार रुपये लेने का ऑडियो वायरल हुआ था। इस ऑडियो की जांच तत्कालीन एसएसपी वैभव कृष्ण ने कराई तो एनओसी के पूरे खेल का खुलासा हुआ। इस मामले में ही एफएसओ और फायर वेंडर की गिरफ्तारी हुई थी।
मेल आईडी से ऐसे चलता है खेल
फायर एनओसी लेने की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन है। फिर भी अग्निशामक यंत्र बेचने वाले वेंडरों ने इसमें सेंध लगा दी है। पुलिस जांच में पुष्टि हो चुकी है कि वेंडर एनओसी दिलाने के लिए भवन मालिकों से ठेका लेते हैं। भवन मालिक के नाम पर ही विभाग की वेबसाइट पर एनओसी के लिए आवेदन किया जाता है। सभी जानकारी तो भवन मालिक की डाली जाती थी, लेकिन ईमेल और मोबाइल नंबर वेंडर अपना या अग्निशमन विभाग के कर्मियों का डाल देते हैं। इसके चलते एनओसी को लेकर होने वाली सभी प्रक्रिया का अपडेट आवेदन में लिखी गई ईमेल आईडी और मोबाइल नंबर पर ही आता है। उसी अपडेट के आधार पर आवेदकों से सौदेबाजी की जाती है। 1200 एनओसी मानी गई थी संदिग्ध
सितंबर 2019 में तत्कालीन एसएसपी वैभव कृष्ण के द्वारा कराई गई जांच में एनओसी के खेल का खुलासा हुआ था। इसमें एक एफएसओ कुलदीप कुमार को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था, जबकि अग्निशमन विभाग के अन्य अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध बताई गई थी। पहले उन्होंने 450 और फिर 1200 एनओसी संदिग्ध बताई थी। जिनकी जांच एसपी सिटी को दी गई थी। लेकिन उसके बाद तत्कालीन एसएसपी का स्थानांतरण हो गया और फिर यह जांच ठंडे बस्ते में चली गई, जो अभी तक भी पूरी नहीं हो सकी है। तत्कालीन एसएसपी ने आरोप लगाये थे कि एनओसी देने में बड़े पैमानें पर धांधली की गई हैं।
अधिकारियों की चल रही जांच
अग्निशमन विभाग में व्याप्त अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के आरोपों की कई जांच चल रही हैं। इनमें नोएडा पुलिस के अलावा, बरेली एंटी करप्शन टीम भी मामले की जांच कर रही है। अपर मुख्य गृह सचिव अवनीश अवस्थी के निर्देश पर भी जांच प्रारम्भ की गई है। विधानसभा अध्यक्ष ह्दय नारायण दीक्षित भी अग्निशमन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी पर अनेक आरोप लगाते हुए पांच बार शासन को पत्र भेज चुके हैं और गौतमबुद्धनगर पुलिस कमिश्नर से भी जांच के लिए कह चुके हैं। जिनके पत्रों के संबंध में भी जांच की जा रही है।