राजस्थान में सचिन पायलट और अशोक गहलोत गुट के बीच पिछले काफी दिनों से सत्ता को लेकर छिड़ा सियासी घमासन थमने की बजाय आए दिन अलग-अलग मोड़ लेता जा रहा है। पहले पायलट गुट की ओर से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर हमला बोला गया तो गहलोत गुट की ओर भी पलटवार किया गया। गहलोत गुट की ओर से जबावी हमला अधिकतर बसपा से कांग्रेस में आए विधायका व निर्दलीयों ने बोला है। एक बार फिर ये विधायक ही गहलोत गुट की कमान संभालने वाले हैं। पिछले सप्ताह कांग्रेस के प्रभारी महामंत्री अजय माकन ने पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट को पार्टी का स्टार प्रचारक और असेट बताते हुए कहा था कि वो किसी से मिलने का समय मांगे और उन्हें समय नहीं मिले यह असंभव है।
इसके बाद गहलोत गुट ने रणनीति बदल दी है। अब बसपा से कांग्रेस में आए 6 विधायक व 13 निर्दलीय विधायक कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी से मिलने का समय मांग रहे हैं ताकि वे पायलट गुट को सत्ता में भागीदारी का विरोध कर सकें। इसकों लेकर इन विधायकों की 23 जून को जयपुर के एक होटल में बैठक हो रही है, जिसमें रणनीति बनाई जाएगी। वहीं निर्दलीय और इन विधायकों के इस दांव को देखते हुए पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट का गुट भी नई रणनीति बनाने में जुटा है। एक दिन पहले रविवार को खुद सचिन पायलट अलवर दौरे पर थे और उनके कुछ समर्थक विधायक भी उनके साथ थे। इस दौरान पायलट ने गहलोत के पक्ष में माने जाने वाले विधायकों से भी मुलाकात की थी।
राजनीतिक नियुक्तियों में भागीदारी की करेंगे मांग
गहलोत गुट के ये विधायक सोनिया और राहुल गांधी से मुलाकात करके जहां पायलट गुट को सत्ता में भागीदारी दिए जाने का विरोध करेंगे। वहीं दूसरी ओर ये अपने लिए कैबिनेट में जगह दिए जाने व राजनीतिक नियुक्तियों में भी उनके समर्थकों का ध्यान रखे जाने की मांग करेंगे। पिछले दिनों बसपा से आए विधायकों ने सीएम से मुलाकात की थी। इसके बाद विधायक संदीप यादव ने पायलट खेमे के विधायकों को गद्दार बताया था। इस पर खूब सियासी बवाल हुआ था।