चीन में सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के शताब्दी समारोह से पहले राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने सार्वजनिक रूप से पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को वफादारी की शपथ दिलाई और उनसे ‘मुख्य नेतृत्व’ को मानने और देश के आधुनिकीकरण के साथ राष्ट्रीय कायाकल्प के लिए काम करने का आह्वान किया। दिसंबर 2012 में पद संभालने के बाद से शी को आधिकारिक तौर पर चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) का ‘मुख्य नेता’ घोषित किया गया है। चीनी राष्ट्रपति द्वारा वरिष्ठ नेताओं को वफादारी की शपथ दिलाने से यह भी सवाल उठ रहा है कि क्या उन्हें किसी बगावत की आशंका है?
बीजिंग में सीपीसी के संग्रहालय की एक प्रदर्शनी देखने के दौरान पार्टी के पोलितब्यूरो के 25 सदस्यों के आगे खड़े शी ने शुक्रवार को शपथ दिलाई, जिसका सरकारी टेलीविजन चैनलों पर प्रसारण किया गया। इस संग्रहालय का हाल ही में उद्घाटन किया गया था। इस मौके पर शी के साथ नंबर-2 नेता प्रधानमंत्री ली क्विंग भी मौजूद थे।
माओत्सेतुंग के बाद शी चीन के सबसे ताकतवर नेता बनकर उभरे हैं। माओ द्वारा 1921 में स्थापित करीब 9 करोड़ सदस्यों वाली सीपीसी 1949 में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (पीआरसी) के गठन के बाद से सत्ता पर काबिज है। शताब्दी समारोह का आयोजन 1 जुलाई को किया जाएगा और पार्टी ने इस मौके पर सैन्य परेड समेत कई आयोजनों की योजना बनाई है।
पार्टी अपनी स्थापना का शताब्दी समारोह ऐसे वक्त मना रही है जब कोविड-19 की उत्पत्ति, शिनजियांग, हांगकांग और तिब्बत में मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोपों को लेकर चीन के प्रति वैश्विक विरोध बढ़ रहा है। शी (67) ने दिसंबर 2012 में अपने पूर्ववर्ती हू जिनताओ से सत्ता संभाली थी और पार्टी, शक्तिशाली सेना पर अपने नेतृत्व को उन्होंने तेजी से मजबूती दी और राष्ट्रपति को ‘मुख्य नेता’ का शीर्षक दिया गया, जिसके साथ ही सामूहिक नेतृत्व की बात पीछे छूट गई।
प्रदर्शनी में अपने भाषण में शी ने सीपीसी के सदस्यों से पार्टी के इतिहास से शक्ति ग्रहण करने और चीन के आधुनिकीकरण और राष्ट्रीय कायाकल्प के लिए प्रयास करने का आह्वान किया। सरकारी शिन्हुआ संवाद समिति के मुताबिक, उन्होंने कहा, ”उनके लिए यह आवश्यक है कि राजनीतिक अखंडता को कायम रखने की जरूरत के बारे में वे अपनी जागरुकता को बढ़ाएं और बड़े पैमाने पर सोचें, नेतृत्व के मूल का पालन करें और पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के साथ तालमेल बनाए रखें।”
शी को मूलत: अपने पूर्ववर्तियों की तरह 2023 में दूसरा कार्यकाल पूरा होने के बाद सेवानिवृत्त हो जाना चाहिए, लेकिन उनके आजीवन पद पर बने रहने की उम्मीद है क्योंकि शीर्ष विधायिका नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (एनपीसी) ने 2018 में संविधान में संशोधन कर पांच साल के दो कार्यकाल की अधिकतम सीमा को हटा दिया था, जिससे सत्ता पर उनके आजीवन कब्जे का रास्ता साफ हो गया था।
उन्होंने सदस्यों को शपथ भी दिलाई जिसमें कहा गया, ”यह मेरी इच्छा है की चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़ूं, पार्टी के कार्यक्रम को बनाए रखूंगा, पार्टी संविधान का पालन करूंगा, पार्टी के सदस्य के तौर पर अपने दायित्वों का निर्वहन करूंगा, पार्टी के फैसलों को लागू कराऊंगा, पार्टी के अनुशासन का सख्ती से पालन करूंगा, पार्टी के रहस्यों को कायम रखूंगा,पार्टी के प्रति वफादार रहूंगा, कठिन परिश्रम करूंगा, जीवन भर साम्यवाद के लिए लड़ूंगा और पार्टी व लोगों के लिए हर समय बलिदान के लिये तैयार रहूंगा, कभी पार्टी से विश्वासघात नहीं करूंगा।”