अनेक पौराणिक प्रसंगों को लोकगीतों में अतिसुन्दर तरीके से वर्णित किया गया है।
हिरण्यकश्यप और प्रह्लाद की कथा सभी को पता है कि दुष्ट असुर हिरण्यकश्यप अपने राज्य में स्वयं की ही पूजा करवाता था ।पर उसका स्वयं का पुत्र प्रभु भक्ति में लीन रहता था।
अपने दम्भ में चूर हिरण्यकश्यप ने अपने ही पुत्र को मारने की कोशिश की पर हर बार भगवान ने प्रहलाद को बचा लिया ।
सर्वप्रथम उसने प्रह्लाद को सूप में बैठाकर छोड़ दिया पर सूप जल में तैरता ही रहा ।
फिर उसने उसे शुक्राचार्य के गुरुकुल भेज दिया जहाँ हिरण्यकश्यप का ही महिमामंडन पढ़ाया जाता था ।पर वहाँ भी प्रह्लाद भगवान भक्ति करते थे ,उल्टे वहाँ के अन्य विद्यार्थी प्रभु भक्ति करने लगे ।हिरण्यकश्यप की ये चटसाल यानी योजना भी व्यर्थ हो गयी ।
उसने गुस्से के मारे प्रह्लाद को कुएं में फेंक दिया पर आधे बीच में ही प्रभु ने उसे झेल लिया और प्रह्लाद को कुछ नहीं हुआ।
इसपर बौखलाए हिरण्यकश्यप ने उन्हे पहाड़ से नींचे फेंक दिया पर वहां भी भगवान ने उन्हें झेल लिया और प्रह्लाद को खरोंच तक नहीं आयी ।
फिर हिरण्यकश्यप की बहन होलिका जिसे आग में नहीं जलने के वरदान प्राप्त था ,उन्हें गोदी में लेकर अग्नि में बैठ गईं ।पर यहाँ होलिका जलकर भस्म हो गयीं और प्रहलाद सुरक्षित निकले।
अंत में जब उसने प्रह्लाद को मारने के लिए खंबे से बांधा तो नरसिंह अवतार का रूप धरकर प्रभू ने हिरण्यकश्यप का वध कर दिया।
इसी प्रसंग को अत्यंत ही सुंदर गीत में ढाला गया है।उत्तर प्रदेश की मिश्रित भाषा में लिखे गए इस गीत में कई अपभृंश हैं जैसा सुनती आयी हूँ वैसा प्रस्तुत है।
प्रह्लाद हिंय लागी राम रटना
राम रटना रे राम रटना
प्रह्लाद हिंय लागी राम रटना
राम रटना रे राम रटना
लै प्रह्लाद सूपै पौढ़ाए
खसकत सूप हँसे ललना
प्रह्लाद हिंय लागी राम रटना
राम रटना रे राम रटना
लै प्रह्लाद गुरुकुल भेजे
सारी चटसाल(योजना) बिगारी अपना
प्रह्लाद हिंय लागी राम रटना
राम रटना रे राम रटना
लै प्रहलाद कुएं में डारै
अधबीच झेल लियो ललना
प्रह्लाद हिंय लागी राम रटना
राम रटना रे राम रटना
लै प्रह्लाद परबत से डारै
झेल लियो अपने अपना
प्रह्लाद हिंय लागी राम रटना
राम रटना रे राम रटना
लै प्रह्लाद होलिका बैठीं
जरबर भसम भयीं अपना
प्रह्लाद हिंय लागी राम रटना
राम रटना रे राम रटना
लै प्रह्लाद खंबा बंधाये
नरसिंह रूप धरै अपना
प्रह्लाद हिंय लागी राम रटना
राम रटना रे राम रटना
प्रह्लाद हिंय लागी राम रटना
राम रटना रे राम रटना
तृप्ति मिश्र