एक अध्ययन में यह संकेत मिला है कि कोरोना रोधी टीके की अतिरिक्त खुराक देने से अंग प्रतिरोपण करा चुके मरीजों का इस महामारी से अधिक बचाव होता है। एनाल्स ऑफ इंटरनल मेडिसिन में प्रकाशित अनुसंधान में जॉन हॉपकिन्स विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं ने यह शोध किया है।
शोधकर्ताओं के बताया कि 30 में से 24 मरीजों में टीके की दोनों खुराक के बावजूद कोई प्रतिरोधक क्षमता विकसित नहीं हुई थी, लेकिन इनमें से आठ मरीजों को अतिरिक्त खुराक देने से उनमें वायरस से लड़ने वाली एंटीबॉडी पैदा हुई। वहीं छह मरीज ऐसे थे जिनमें टीके की दो खुराक के बाद न्यूनतम एंटीबॉडी विकसित हुई थी, लेकिन जब उन्हें कोविड रोधी टीके की तीसरी खुराक दी गई तो उनकी प्रतिरोधक क्षमता बहुत बढ़ गई।
हॉपकिन्स में प्रतिरोपण सर्जन डॉ. डोरी सेगेव ने इस अनुसंधान का नेतृत्व किया। उन्होंने कहा, यह बहुत उत्साहजनक है। दो खुराक लेने के बाद भी एंटीबॉडी विकसित नहीं हुई तो इसका मतलब यह नहीं है कि अब कोई उम्मीद ही नहीं बची। अब अनुसंधानकर्ताओं का दल राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान के साथ मिलकर काम कर रहा है और इसमें अंग प्रतिरोपण करवा चुके 200 लोगों में टीकाकरण की तीसरी खुराक के असर आदि की गहन जांच की जाएगी।
अंग प्रतिरोपण करवा चुके लोगों को प्रतिरोधक क्षमता को दबाने वाली शक्तिशाली दवाएं दी जाती हैं ताकि उनका शरीर नए अंग को अस्वीकार न कर दे। लेकिन इन्हीं दवाओं के कारण उनके कोरोना वायरस संक्रमण या अन्य प्रकार के संक्रमण की चपेट में आने का खतरा भी अधिक होता है। सेगेव ने बताया कि फ्रांस ने ऐसे लोगों को कोविड रोधी टीके की तीसरी खुराक देने की अनुशंसा की है जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत अधिक कम है। इनमें अंग प्रतिरोपण करवाने वाले लोग भी शामिल हैं।
लेकिन अमेरिका ने कोविड टीके की अतिरिक्त खुराक को अभी अधिकृत नहीं किया है। यह अनुसंधान छोटे स्तर पर किया गया जिसमें अंग प्रतिरोपण के केवल 30 मरीजों को शामिल किया गया। लेकिन कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिहाज से टीके की अतिरिक्त खुराक के प्रभाव को समझने के लिए यह एक महत्वपूर्ण शोध है।