कोविड-19 की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से पिता को खोने वाले दो नाबालिग बच्चों ने मुआवजे के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय के रुख किया है। उन्होंने उच्च न्यायालय से मांग की है कि केन्द्र व राज्य सरकार को निर्देश दिया जाए कि मुआवजे की उन प्रस्तावित योजनाओं को तेजी से लागू किया जा सके, जोकि कोरोना में जान गंवाने वाले लोगों के परिवार वालों के लिए तैयार की गई हैं।
न्यायमूर्ति अमित बंसल की अवकाशकालीन पीठ ने इस याचिका पर केन्द्र, दिल्ली सरकार, दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग(डीसीपीसीआर), राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण अयोग (एनसीपीसीआर), उपराज्यपाल एवं निजी अस्पताल को नोटिस कर जवाब मांगा है। इन दोनों बच्चों ने अपनी मां शालू कटारिया के माध्यम से उच्च न्यायालय याचिका दायर की है। याचिका में मां ने अपने जैसे बच्चों के लिए पूरी तरह से राज्य द्वारा वित्त पोषित शिक्षा के लिए योजनाओं की घोषणा करने और उनके शीघ्र कार्यान्वयन की मांग भी की है। उनका कहना है कि उन जैसे बहुत सारे ऐसे बच्चे हैं, जो निजी स्कूलों में पढ़ रहे हैं और अपने परिवार में रोजी-रोटी कमाने वाले एकमात्र सदस्य को ऑक्सीजन की आपूर्ति में कमी के कारण या कोरोना के कारण खो चुके हैं। उन्होंने सरकार से यह सुनिश्चित करने आग्रह किया है कि स्कूल फीस का भुगतान न करने के कारण उनके शिक्षा के अधिकार पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।
बच्चों ने अपनी याचिका में कहा है कि वे एयर फोर्स गोल्डन जुबली स्कूल में क्रमशः 2013 और 2019 में प्रवेश पाने के बाद से पढ़ रहे हैं। जब उनके पिता का कोरोना टेस्ट पॉजिटिव आया और उनके स्वास्थ्य की स्थिति बिगड़ने लगी, तो उनके पिता को 18 अप्रैल को जयपुर गोल्डन अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अस्पताल में भर्ती कराते समय उनको आश्वासन दिया गया था कि इस निजी हेल्थकेयर संस्थान के पास सर्वोत्तम उपचार और संसाधन उपलब्ध हैं और उनके पिता को उचित उपचार प्रदान किया जाएगा क्योंकि उन्हें ऑक्सीजन की कमी के कारण ज्यादा देखभाल की आवश्यकता थी। लेकिन ऑक्सीजन की पूर्ति ना होने के कारण उनके पिता की मौत हो गई थी।