दिल्ली हाईकोर्ट ने पिछले साल उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा के एक मामले में पिंजरा तोड़ एक्टिविस्ट देवांगना कलिता और नताशा नरवाल और जामिया के छात्र आसिफ इकबाल तन्हा को मंगलवार को जमानत दे दी।
जानकारी के अनुसार, देवांगना, नताशा और आसिफ को पिछले साल फरवरी में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों से जुड़े एक मामले में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) कानून के तहत गिरफ्तार किया गया था।
जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस ए.जे. भंभानी की बेंच ने निचली अदालत के इन्हें जमानत ना देने के आदेश को खारिज करते हुए तीनों को नियमित जमानत दे दी। हाईकोर्ट ने पिंजरा तोड़ एक्टिविस्ट नताशा नरवाल, देवांगना कालिता और तन्हा को अपने-अपने पासपोर्ट जमा करने, गवाहों को प्रभावित न करने और सबूतों के साथ छेड़खानी न करने का निर्देश भी दिया।
बेंच ने इन तीनों की जमानत याचिकाओं पर 18 मार्च को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। तन्हा ने एक निचली अदालत के 26 अक्टूबर, 2020 के आदेश को चुनौती दी है। कोर्ट ने इस आधार पर जमानत याचिका खारिज कर दी थी कि आरोपी ने पूरी साजिश में कथित रूप से सक्रिय भूमिका निभाई थी और इस आरोप को स्वीकार करने के लिए पर्याप्त आधार है कि आरोप प्रथम दृष्टया सच प्रतीत होते हैं।
हाईकोर्ट ने चार जून को तन्हा को 13 से 26 जून तक दो सप्ताह के लिए हिरासत में अंतरिम जमानत दी, ताकि वह 15 जून से होने वाली परीक्षाओं के मद्देनजर अध्ययन करने और परीक्षा में शामिल होने के लिए यहां एक होटल में रह सके।
दिल्ली पुलिस ने हाईकोर्ट में जमानत याचिका का विरोध किया था और दलील दी थी कि दंगे पूर्व नियोजित थे और एक साजिश रची गई थी, जिसमें तन्हा एक हिस्सा था।
उल्लेखनीय है कि 24 फरवरी 2020 को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में संशोधित नागरिकता कानून के समर्थकों और विरोधियों के बीच हिंसा भड़की थी जिसने सांप्रदायिक रूप ले लिया था। हिंसा में कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई थी तथा करीब 200 लोग घायल हो गए थे।