इजराइल की संसद नई सरकार पर रविवार को मतदान करने के लिए पूरी तरह तैयार है, जिसके बाद 12 वर्षों तक बिना किसी बाधा के सत्ता पर काबिज रहे प्रधानमंत्री बेंजमिन नेतन्याहू को शासन से बेदखल होना पड़ेगा। संभावित सरकार विभिन्न विचारधाराओं वाली राजनीतिक पार्टियों का अभूतपूर्व गठबंधन है जिसमें दक्षिणपंथी, वामपंथी और उदारवादी पार्टियों के साथ-साथ एक अरब पार्टी भी शामिल है और इस गठबंधन को महज एक सीट से बहुमत प्राप्त है।
इजराइली संसद- नेसेट स्थानीय समयानुसार चार बजे बैठेगी और अंतिम क्षण में कोई बड़ी घटना न हो तो, नेतन्याहू के पुराने करीबी रहे और दक्षिणपंथी यामिना पार्टी के नेता नफ्ताली बेनेट कभी अपने मार्गदर्शक रहे नेतन्याहू से पद ले लेंगे और 120 सदस्यीय सदन में 61 सांसदों के साथ मामूली बहुमत वाली सरकार का नेतृत्व करेंगे। नेसेट की मंजूरी के साथ ही 71 वर्षीय नेतन्याहू के निर्बाध रहे 12 साल के शासन पर विराम लग जाएगा, जिनके नाम देश के इतिहास में सबसे लंबे वक्त तक प्रधानमंत्री रहने का रिकॉर्ड है। साल 1996 से 1999 के बीच पहले भी पद पर कार्यरत रहने के कारण, पिछले साल नेतन्याहू ने उस रिकॉर्ड को तोड़ दिया था, जो इस यहूदी राज्य के संस्थापक नेताओं में से एक डेविड बेन गुरियोन के नाम था।
नई सरकार के गठन से देश में राजनीतिक गतिरोध समाप्त हो जाएगा, जहां पिछले दो वर्षों से भी कम समय में चार बार चुनाव हुए और हर बार निर्णायक परिणाम सामने नहीं आए। हालांकि, जनमत सर्वेक्षण (ओपिनियन पोल) बताते हैं कि ज्यादातर इजराइली इस आठ अलग-अलग विचारों वाली पार्टियों के गठबंधन के अधिक समय तक चल पाने को लेकर ज्यादा उम्मीद नहीं लगा रहे हैं, जो देश के सामने खड़ी अधिकांश अहम चुनौतियों पर एकमत नहीं रखती हैं।
बेनेट (49) का येश आतिद पार्टी के प्रमुख, उदारवादी नेता याइर लापिद के साथ सत्ता साझा करने को लेकर समझौता हुआ है जिसके तहत लापिद सितंबर 2023 में प्रधानमंत्री का पद संभालेंगे और दो साल तक पद पर बने रहेंगे, जब तक कि इस पद का कार्यकाल समाप्त नहीं हो जाता। नेसेट में 17 सीटों के साथ दूसरे सबसे बड़े दल के नेता, लापिद को राष्ट्रपति रुवेन रिवलिन ने 30 सीटों वाली लिकुड पार्टी के नेता नेतन्याहू की ओर से अधिकतर सांसदों के समर्थन से सरकार बनाने में अक्षमता जाहिर करने के बाद गठबंधन बनाने के लिए आमंत्रित किया था।
लापिद ने जिस अस्थिर गठबंधन को साथ लाने में कामयाबी हासिल की है, उसके सामने कई गंभीर चुनौतियां हैं और जिस एक कारण से वे एकजुट दिख रहे हैं वह है नेतन्याहू को बाहर करने के एजेंडा को लेकर बनाई गई ‘उद्देश्य की एकता। यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि 71 वर्षीय नेतन्याहू जिन्हें कई इजराइली ‘सबसे बड़े विभाजक- डिवाइडर इन चीफ के रूप में देखते हैं, वह बेहद अजीबो-गरीब तरीके से एकजुटता के सूत्रधार बन गए हैं, क्योंकि उनको बाहर करने के लिये अकल्पनीय सहयोगी राष्ट्रीय एकता की ऐसी सरकार बनाने के लिए साथ आए हैं, जो इजराइल के इतिहास में पहले कभी नहीं दिखी है।ज्यादातर विशेषज्ञों का मानना है कि नये नाजुक गठबंधन के कार्यकाल को निर्धारित करने वाले दो कारक हैं- पहला नेतन्याहू की वापसी का भय और दूसरा कुछ दक्षिणपंथी गुटों का संभावित राजनीतिक खात्मा, जो साथ आने के लिए अपने मतदाताओं की इच्छा के खिलाफ गए हैं। इसमें बेनेट की यामिना पार्टी भी शामिल है, जिसे इस काम में अपने समर्थकों के विश्वास को बहाल करने के लिए कुछ ‘बड़ी जीतों’ को हासिल करना होगा।
दिलचस्प यह है कि नेतन्याहू को बाहर करने के लिए एकजुट हुए लगभग एक तिहाई लोग विचारधारा की दृष्टि से यूं तो उनके ‘स्वाभाविक सहयोगी होते, जिन्होंने पूर्व में उनके करीबी सहयोगियों के तौर पर काम भी किया है। नेतन्याहू के लिए अब भी सबकुछ खत्म नहीं हुआ है और वह दक्षिणपंथी लिकुड पार्टी के प्रमुख बने रहने के साथ ही विपक्ष के नेता बनेंगे।
बेनेट की नई सरकार ऐसी सरकार होगी जो इजराइल के इतिहास में पहले कभी नहीं बनी क्योंकि इसमें धुर विरोधी विचारधाराओं के दल भी शामिल हैं। हालांकि, उन्होंने हाल में कहा था कि किसी को भी अपनी विचारधारा नहीं छोड़नी पड़ेगी लेकिन सभी को अपने कुछ सपनों को टालना होगा और जो बिना बहस के हासिल किया जा सकता है, उसे पाने की कोशिश करनी होगी। समझा जाता है कि नई सरकार में रिकॉर्ड 8 महिला मंत्री होंगी।