कोरोना संक्रमण का प्रकोप कम होने बाद अब पोस्ट कोविड मरीजों में ब्लैक और येलो फंगस के मामले बढ़े हैं। फंगस से पीड़ित मरीजों की दवा नहीं मिलने से परेशानी बढ़ रही है। चिकित्सक ब्लैक व येलो फंगस के मरीज को एम्फोटेरेसिन-बी इंजेक्शन लगाने की सलाह दे रहे हैं। इस इंजेक्शन के लिए तीमारदार भटक रहे हैं।
मई माह के दूसरे सप्ताह से कोरोना के सक्रिय मरीजों में कमी दर्ज की गई थी। लेकिन स्वस्थ होने वाले कुछ मरीजों में ब्लैक फंगस के लक्षण दिखने लगे थे। इसके इलाज के लिए मरीज भटक रहे थे। जिले में राजनगर के एक ही अस्पताल में ब्लैक फंगस के मरीज भर्ती हो रहे थे। जहां चिकित्सक साइनस आदि ऑपरेशन करके मरीजों का इलाज कर रहे थे। लेकिन इसके लिए मरीज को एम्फोटेरेसिन-बी इंजेक्शन की भी सलाह दी जा रही थी। एम्फोटेरेसिन बी इंजेक्शन नहीं मिलने से मरीज और तीमारदार परेशान हो रहे थे। तीमारदारों को इंजेक्शन की व्यवस्था के लिए दूसरे जिलों में दौड़ लगानी पड़ रही है। इसके बाद दूसरे जिलों में भी मौके पर पहुंचकर पर्याप्त मात्रा में इंजेक्शन की डोज की व्यवस्था नहीं हो रही। ऐसे में इलाज के अभाव में मरीज दम तोड़ रहे हैं।
19 अप्रैल को ब्लैक फंगस के मरीज की हुई थी पहली मौत
जिले में ब्लैक फंगस के मरीज की 19 अप्रैल को पहली मौत हुई थी। नूरनगर के रहने वाले राजाराम का निजी अस्पताल में इलाज चल रहा था। लेकिन इंजेक्शन नहीं मिलने कारण दम तोड़ दिया था।
25 मई को येलो फंगस के मरीज की पहली मौत
जिले में ब्लैक फंगस के बाद येलो फंगस से पहली मौत 25 मई को हुई थी। संजय नगर के रहने वाले 52 वर्षीय एक व्यक्ति ने फंगस के इलाज के अभाव में दम तोड़ दिया। परिजनों ने मेरठ समेत आसपास के जिलों में इंजेक्शन परेशान रहे। लेकिन कहीं से इंजेक्शन की व्यवस्था नहीं हो सकी।
मंडल के सभी जिलों में भटकने के बाद भी नहीं मिल रहा इंजेक्शन
मुरादनगर के रहने वाले एसकेडी शर्मा ने बताया कि उनके भाई लंबे समय से अस्पताल में भर्ती है। जिनका निजी अस्पताल में ब्लैक व येलो फंगस का इलाज चल रहा है। डॉक्टर ने इसके लिए एम्फोटेरेसिन बी दवा की व्यवस्था करने के लिए कहा है। लेकिन मंडल के सभी जिलों में मालूम कर लिया। कहीं से इंजेक्शन की व्यवस्था नहीं हो रही है। वहीं इंजेक्शन के लिए इतनी लंबी कागजी प्रक्रिया की है। तीमारदार को इंजेक्शन की व्यवस्था करने में मशक्कत करनी पड़ रही है। वहां जाकर भी पर्याप्त मात्रा के हिसाब से डोज नहीं मिलती है। ऐसे में तीमारदार को खाली हाथ लौटना पड़ रहा है।
जिले के चार अस्पतालों में चल रहा है इलाज
जिले में ब्लैक व येलो फंगस मरीजों को चार अस्पतालों में इलाज किया जा रहा है। राज नगर के हर्ष ईएनटी अस्पताल, मैक्स अस्पताल, पुलमोनिक अस्पताल, यशोदा अस्पताल नेहरू नगर शामिल हैं।
सीएमओ डा. एनके गुप्ता का कहना है, ‘जिले में फंगस की दवा की उपलब्धता के लिए शासन को पत्र भेजा गया है। शासन से अनुमति और दवा की उपलब्धता के बाद मरीजों को जिले में ही दवाई उपलब्ध कराई जाएगी।’