पंजाब में अगले साल होने जा रहे विधानसभा चुनाव के लिए शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) और बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) ने शनिवार को गठबंधन किया। अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने इसे पंजाब की राजनीति में नया सवेरा बताया तो बीएसपी सुप्रीमो मायावाती ने कहा कि यह राजनीतिक और सामाजिक पहल ऐतिहासिक कदम है। इस बीच, अकाली दल के संरक्षक प्रकाश सिंह बादल ने मायावती से फोन पर बात की और जल्द ही पंजाब बुलाने की बात कही।
मायावती ने ट्विटर पर 3 ट्वीट्स के जरिए इस गठबंधन पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, ”पंजाब में आज शिरोमणि अकाली दल और बहुजन समाज पार्टी द्वारा घोषित गठबंधन यह एक नया राजनीतिक व सामाजिक पहल है, जो निश्चय ही यहां राज्य में जनता के बहु-प्रतीक्षित विकास, प्रगति व खुशहाली के नए युग की शुरुआत करेगा। इस ऐतिहासिक कदम के लिए लोगों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।” बसपा सुप्रीमो ने अगले ट्वीट में कहा, ”वैसे तो पंजाब में समाज का हर तबका कांग्रेस पार्टी के शासन में व्याप्त गरीबी, भ्रष्टाचार व बेरोजगारी आदि से जूझ रहा है, लेकिन इसकी सबसे ज्यादा मार दलितों, किसानों, युवाओं व महिलाओं आदि पर पड़ रही है, जिससे मुक्ति पाने के लिए अपने इस गठबंधन को कामयाब बनाना बहुत जरूरी।”
आखिरी ट्वीट में लोगों सो गठबंधन को सफल बनाने की अपील करते हुए मायावती ने लिखा, ”पंजाब की समस्त जनता से पुरजोर अपील है कि वे अकाली दल और बीएसपी के बीच आज हुए इस ऐतिहासिक गठबंधन को अपना पूर्ण समर्थन देते हुए 2022 के प्रारम्भ में ही होने वाले विधानसभा आमचुनाव में गठबंधन की सरकार बनवाने में पूरे जी-जान से अभी से ही जुट जाएं।”
इस बीच प्रकाश सिंह बादल ने फोन पर मायावती से बात की। नए गठबंधन को लेकर मायावती को बधाई देते हुए बादल ने कहा, ”हम आपको जल्द ही पंजाब में आमंत्रित करेंगे।” इस दौरान उनके साथ सुखबीर बादल और बीएसपी महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा भी मौजूद थे।
शिअद और बसपा साथ मिलकर 2022 विधानसभा चुनाव और अन्य चुनाव लड़ेंगे। बसपा पंजाब के 117 विधानसभा सीटों में से 20 पर चुनाव लड़ेगी, बाकी सीटें शिअद के हिस्से में आएंगी। बसपा के हिस्से में जालंधर का करतारपुर साहिब, जालंधर पश्चिम, जालंधर उत्तर, फगवाड़ा, होशियारपुर सदर, दासुया, रुपनगर जिले में चमकौर साहिब, पठानकोट जिले में बस्सी पठाना, सुजानपुर, अमृतसर उत्तर और अमृतसर मध्य आदि सीटें आई हैं। इससे पहले अकाली दल का भाजपा के साथ गठबंधन था, लेकिन पिछले साल केंद्र द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों को लेकर बादल नीत पार्टी ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का साथ छोड़ दिया। अकाली के साथ गठबंधन में भाजपा 23 सीटों पर चुनाव लड़ा करती थी।