माना कि चकाचौंध बढ़ी है
तभी तो भागमभाग पड़ी है।
अपना सब कुछ लुटवाने को,
क्यों ये दुनिया दौड़ पड़ी है।।
ये जीवन है बहुत कीमती,
मत इसका नुकसान करो।
छोड़ व्यसनों वाली करनी,
केवल योग का ध्यान करो।।
सुबह सवेरे स्वच्छ हवा में,
आसन, ध्यान लगा लेना।
कपालभाति अनुलोम विलोम,
संग, जीवन मस्त बना लेना।।
योग हमारे सब अंगों को,
सुंदर व स्वस्थ बनाता है।
और हमारी काया को भी
नवजीवन ही दे जाता है।।
साध निरन्तर निज सांसों को,
ओउम ओउम गुंजार करें।
योग साधना कष्ट निवारे,
और रोगों का परिहार करें।।
प्राणायाम और सूर्य नमन से,
मन पुलकित हो जाता है।
वैर भावना सुस्ती कुण्ठा,
का, पर्दा भी हट जाता है।
ताड़ासन से बढ़े लम्बाई,
बज्रासन अन्न पचाता है।
उदर रोग, मधुमेह, मोटापा,
हल आसन दूर भगाता है।।
प्राण अपान उदान, व्यान समान,
वायु से, जीवित शरीर हमारा है।
योग क्रिया से है सध जाता,
फिर लगता ये न्यारा न्यारा है।।
योग अनुशासन, योग है दर्शन,
आत्म उपचार की धारा है।
समाधियुक्त और व्याधिमुक्त
हो, दूर हुआ अंधियारा है।।
हर जाति धर्म के लोग इसे,
खुशी खुशी से कर सकते हैं।
नर नारी और बाल वृद्ध सब,
अपनी पीड़ा हर सकते हैं।।
मानवता के हित की खातिर,
ऋषियों ने अलख जगाया है।
विश्वगुरु भारत की थाती को,
हर देश देश में पहुंचाया है।।
अब मन में एक ध्येय धर लो,
जीवन में कुछ अच्छा कर लो।
सब लोगों को योग सिखाकर,
आओ सारे उनके दुखड़े हर लो।।
आओ मिलकर योग करें हम,
तन मन को नीरोग करें हम।
दुनिया की इस बगिया में बस,
सादा जीवन भोग करें हम।।
डॉ विजय कुमार पुरी
ग्राम पदरा पोस्ट हंगलोह, तहसील पालमपुर, जिला कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश 176059
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