नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने सोमवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर एक के बाद एक कई आरोप लगाए। तेजस्वी यादव ने फेसबुक पर एक पोस्ट साझा की है, जिसमें लिखा है कि आखिर क्यों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक डीएसपी जिस पर नाबालिग दलित लड़की के बलात्कार के साथ साथ केंद्रीय चयन पर्षद (सिपाही भर्ती) में भी भारी धांधली करने के आरोप हैं, को बचा रहे हैं? यह डीएसपी केंद्रीय चयन पर्षद (सिपाही भर्ती) के अध्यक्ष का ओएसडी रहा है। इस डीएसपी और चयन पर्षद के अध्यक्ष का क्या संबंध रहा है यह पूरा प्रशासन और पुलिस महकमा जानता है। केंद्रीय चयन पर्षद (सिपाही भर्ती) के विवादित अध्यक्ष और मुख्यमंत्री की पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का क्या, कैसा और कब से कौन सा संबंध है यह भी सर्वविदित है।
डीएसपी की करतूतों को पत्नी ने मीडिया के सामने रखा
नेता प्रतिपक्ष ने आगे लिखा है कि इस डीएसपी ने एक दलित नाबालिग का बलात्कार किया व भर्ती परीक्षा में धांधलियां की। यह आरोप स्वयं डीएसपी की पत्नी ने सबूत सहित मीडिया के समक्ष अपने पति पर लगाया है। ऐसी क्या मजबूरी है कि गिरफ्तारी तो दूर की बात, निष्पक्ष जांच को भी ऊपर से बाधित किया जा रहा है? एफआईआर दर्ज करने में भी जान बुझकर देरी की गयी। इस अधिकारी के विरुद्ध जांच और गिरफ्तारी होने से प्रत्यक्ष रूप से बिहार के पूर्व डीजीपी और वर्तमान केंद्रीय चयन पर्षद (सिपाही भर्ती) के अध्यक्ष बचा रहे हैं। मीडिया में मामला आने के बाद पुलिस विभाग अब इस भ्रष्ट और व्याभिचारी अधिकारी पर दिखावटी कार्यवाही कर रहा है। बिहार का हर अभिभावक और अभ्यर्थी जानता है कि नीतीश कुमार और उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष के संरक्षण, निर्देश और शह पर केंद्रीय चयन पर्षद (सिपाही भर्ती) के अध्यक्ष ने अपने इस ओएसडी के साथ मिलकर व्यापक पैमाने पर सिपाही भर्ती में धांधली और घोटाले को अंजाम दिया है। 2017 ड्राइवर (सिपाही भर्ती) में भी क्या-क्या गुल खिलाए गए यह कौन नहीं जानता?
बिहार के CM, केंद्रीय चयन पर्षद(सिपाही भर्ती) के अध्यक्ष पूर्व DGP व उनके OSD बलात्कारी DSP के अनैतिक गठजोड़ ने दलित महिला के साथ-साथ बिहार के लाखों युवाओं का जीवन चौपट कर दिया है। किस मजबूरी के तहत सेवानिवृत्ति के बाद भी CM ऐसे लोगों को उपकृत कर रहे है?
नियुक्तियों में रिश्वत और लेनदेन का खेल होता है
अपने पोस्ट में तेजस्वी ने आगे लिखा है कि मुख्यमंत्री और उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा सौंपी गयी सूचियों के आधार पर सिपाही भर्ती में अनियमित तरीक़े से अधिकांश नियुक्ति एक जिला और जाति का होने के बाद बाक़ी नियुक्तियों में भारी रिश्वत और लेनदेन का खेल शुरू होता है, जिसका हिस्सा ऊपर तक जाता है। इसी गठजोड़ के तहत पूर्व विवादित डीजीपी को सेवानिवृत्त होने के बाद भी नीतीश कुमार ने महत्वपूर्ण पद देकर व्यवस्था में जमा रखा हैं, ताकि वो उनकी एक ज़िला-एक जात की ज़रूरतें पूरी करने के साथ-साथ भ्रष्टाचार और अनैतिक राजनीति को भी मजबूती देते रहें। स्वयं इनके ओएसडी की धर्मपत्नी पर किसकी कैसी नज़र थी, यह बात खुद उसने अपनी पत्नी को बतायी थीं। बाज़ार में अनेक ऑडियो वायरल हो रहे हैं, जो दर्शाता है कि सत्ता शीर्ष पर बैठे इस गुट के कुछ खास लोगों का चाल चरित्र और चेहरा कैसा है? चयन पर्षद के महत्वपूर्ण पद पर बैठे व्यक्ति एवं सत्ता शीर्ष के इस अनैतिक और भ्रष्ट गठजोड़ ने बिहार के लाखों युवाओं की ज़िंदगी चौपट कर दी है। जाति, जिला, अन्याय और पैसे के आधार पर अयोग्य युवकों का पुलिस विभाग में चयन किया जा रहा है, जिससे योग्य, सक्षम और प्रतिभाशाली युवा और बेरोजगार नौकरी पाने से वंचित रह जाते है।
नेता प्रतिपक्ष ने लिखा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चयन प्रक्रिया की बागडोर अगर ऐसे ही लोगों के हाथ में देकर जाति और पैसे के आधार पर अक्षम लोगों की नियुक्ति जारी रखेंगे तो यक़ीन मानिए पहले से ही बदहाल बिहार पुलिस की कार्यक्षमता और अधिक प्रभावित होगी। हमारी मांग है कि चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए ऐसे लोगों को तुरंत हटाया जाए। क्या जिले और जात के लोगों के अलावा चढ़ावे का हिस्सा भी मजबूरी है, जो नीतीश कुमार उन्हें पद पर बनाए हुए है? हरेक भर्ती और चयन प्रक्रिया का कमोबेश यही हाल है। मुख्यमंत्री को ऐसा क्या लालच और फ़ायदा है कि सेवानिवृत्ति के बाद भी वो ऐसे लोगों को बड़े पद देकर उपकृत कर रहे है? मुख्यमंत्री जवाब दें?