इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गोरखपुर में जिला पंचायत सदस्य का चुनाव परिणाम घोषित व प्रमाणपत्र जारी होने के बाद उसे निरस्त कर दूसरे को विजयी घोषित करने के आदेश पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने बाद में विजयी घोषित प्रत्याशी देव शरण को नोटिस जारी करते हुए उससे और राज्य सरकार व निर्वाचन आयोग से इस मामले में जवाब मांगा है।
यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज नकवी एवं न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने राम अचल की याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता अमरेंद्र नाथ सिंह व एडवोकेट सौरभ सिंह और निर्वाचन आयोग के अधिवक्ता तेन सिंह को सुनकर दिया है। मामले के तथ्यों के अनुसार गत चार मई को गोरखपुर में जिला पंचायत सदस्य का चुनाव परिणाम घोषित हुआ। बसपा प्रत्याशी याची को लगभग साढ़े चार सौ वोट से विजयी घोषित कर प्रमाणपत्र भी जारी कर दिया गया। उसके बाद सपा प्रत्याशी देव शरण की आपत्ति पर पुनर्मतगणना कराई गई, जिसमें वह 147 वोट से विजयी हुआ। इसके बाद पूर्व घोषित परिणाम निरस्त कर देव शरण को विजयी घोषित कर दिया गया।
वरिष्ठ अधिवक्ता अमरेंद्र नाथ सिंह का तर्क था कि उप्र क्षेत्र एवं जिला पंचायत (सदस्य चुनाव) नियमावली 1994 के नियम 54 के तहत एक बार चुनाव परिणाम घोषित कर प्रमाणपत्र प्रदान करने के बाद चुनाव अधिकारी को पुनर्मतगणना कराने व घोषित परिणाम निरस्त कर दूसरे प्रत्याशी को विजयी घोषित करने का अधिकार नहीं रह जाता है। इसे केवल चुनाव याचिका में चुनौती दी जा सकती है। चुनाव अधिकारी ने क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर दुर्भावनापूर्ण व विधि विरुद्ध आदेश दिया है,जो कानून की नजर में अवैधानिक है।